Interim budget 2024-25 and its impact on farming and farmers

2024-25 काअंतरिमबजट: कृषि, खेती, किसान और उर्वरकों पर असर

भारत सरकार द्वारा 1 फरवरी, 2024 को पेश किया गया अंतरिम बजट 2024-25 देश के कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए कई तरह के बदलाव लेकर आया है। हालांकि यह एक अंतरिम बजट है, यानी इसमें बड़े बदलाव शामिल नहीं हैं, लेकिन इससे हमें सरकार की प्राथमिकताओं और आने वाले समय में कृषि के लिए सरकार के नजरिए का अंदाजा मिलता है। आइए जानें बजट में कृषि, खेती, किसानों और उर्वरकों पर क्या असर पड़ने वाला है।

किसानों के लिए राहत की खबर

बजट में सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है:

  • पीएमकिसान सम्मान निधि योजना जारी: इस योजना के तहत सरकार पात्र किसानों को सालाना 6,000 रुपये देती है। बजट में इस योजना के लिए आवंटन (allotment) में कोई बदलाव नहीं किया गया है, यानी यह योजना आगे भी जारी रहेगी।
  • पीएम फसल बीमा योजना को बढ़ावा: प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को आर्थिक मदद देने वाली इस योजना के लिए बजट में आवंटन (allotment) बढ़ा दिया गया है।
  • मूल्य वृद्धि पर जोर: सरकार किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और कृषि-क्लस्टरों को बढ़ावा दे रही है, ताकि किसानों को सीधे बाजार से जोड़ा जा सके और उनकी फसलों का बेहतर दाम मिल सके।
  • डिजिटल कृषि मिशन: सरकार किसानों को खेती के लिए नई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए “डिजिटल कृषि मिशन” चलाया जा रहा है, जिससे किसानों को बेहतर फैसले लेने और संसाधनों का सही इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।
  • पशुपालन और मछली पालन को बढ़ावा: सरकार ने पशुपालन के विकास, डेयरी प्रोसेसिंग और मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए बजट में आवंटन बढ़ाया है।

बजट की कुछ चुनौतियां

हालांकि बजट में किसानों के लिए कुछ राहत की खबरें हैं, लेकिन कुछ चुनौतियां भी बनी हुई हैं:

  • खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में कमी: सरकार ने खाद्य और उर्वरक सब्सिडी में थोड़ी कमी की है, जिससे किसानों की उत्पादन लागत बढ़ सकती है, खासकर छोटे और सीमांत किसानों के लिए।
  • कुल मिलाकर कृषि के लिए आवंटन कम: कुछ किसान संगठनों का कहना है कि कृषि क्षेत्र के लिए बजट में आवंटन पर्याप्त नहीं है।
  • बाजार तक पहुंच और उचित मूल्य दिलाने पर ध्यान नहीं: किसानों को अक्सर अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पाता है और उन्हें बाजार तक पहुंच बनाने में भी दिक्कत होती है। बजट में इन समस्याओं को दूर करने के लिए कोई खास उपाय नहीं किए गए हैं।
  • अनिश्चितता बनी हुई: चूंकि यह एक अंतरिम बजट है, इसलिए इसमें कोई बड़े नीतिगत बदलाव नहीं किए गए हैं। इससे किसानों के लिए लंबे समय के लिए कोई योजना बनाना मुश्किल हो जाता है।

उर्वरकों पर सरकार का फोकस

बजट में सरकार ने उर्वरकों पर भी ध्यान दिया है:

  • देश में ही यूरिया उत्पादन बढ़ाने पर जोर: सरकार देश में ही यूरिया उत्पादन बढ़ाना चाहती है, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके और आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।
  • नीम कोटेड यूरिया को बढ़ावा: सरकार नीम कोटेड यूरिया के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इससे खाद धीरे-धीरे घुलती है और मिट्टी का कटाव कम होता है। हालांकि, अभी तक नीम कोटेड यूरिया की सब्सिडी नहीं दी जाती है, जिससे इसकी कीमत सामान्य यूरिया से ज्यादा है।

उर्वरक सब्सिडी पर चिंताएं

  • उर्वरक सब्सिडी में लगातार कमी: सरकार पिछले कुछ वर्षों से उर्वरक सब्सिडी में कटौती कर रही है। इससे किसानों की लागत बढ़ रही है। हालांकि, सरकार का कहना है कि वह सब्सिडी को सीधे किसानों तक पहुंचाना चाहती है, ताकि इसका दुरुपयोग न हो सके।

निष्कर्ष

2024-25 का अंतरिम बजट कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए एक मिला जुला बैग है। सकारात्मक कदमों के बावजूद, कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए सरकार को और कदम उठाने की जरूरत है। उम्मीद है कि 2024 का पूर्ण बजट इन चुनौतियों को दूर करने और कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए एक ठोस योजना पेश करेगा।

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