kharbuje ki kheti kaise karen

खरबूजे की खेती कैसे करें सम्पूर्ण जानकारी

खरबूजा, गर्मी के दिनों का मीठा और रसीला फल, भारत में हर घर में पसंद किया जाता है।

इस लेख के द्वारा हम आपको खरबूजे की खेती कैसे की जाये, बीज का चुनाव, बीज बोने का सही समय, कौनसी खाद डालें, खरबूजे के पौधे की देखभाल कैसे करें आदि विस्तार में बताएँगे।

खरबूजे की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

खरबूजा एक गर्म मौसम की फसल है। इसकी खेती के लिए गर्म और शुष्क जलवायु सबसे अच्छी मानी जाती है। भारत में इसकी खेती ज्यादातर मार्च से मई के बीच की जाती है, जब तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। वहीं, मानसून आने से पहले इसकी फसल तैयार हो जाती है।

खरबूजे की अच्छी पैदावार के लिए हल्की रेतीली या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। ध्यान रहे कि ज़मीन में जल निकास की अच्छी व्यवस्था हो। जलभराव की स्थिति में पौधों को नुकसान पहुँच सकता है। मिट्टी का पी.एच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए।

खरबूजे की खेती की तैयारी

खरबूजे की खेती की शुरुआत खेत की अच्छी तैयारी से होती है। इसके अलग-अलग चरण इस प्रकार है:

  1. खेत की जुताई: सबसे पहले खेत की 3-4 बार गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी बना लें। जुताई के बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें।
  2. पलेवा: इसके बाद खेत में हल्की सिंचाई करके कुछ दिनों के लिए छोड़ दें। इस प्रक्रिया को पलेवा कहते हैं। इससे मिट्टी में मौजूद खरपतवार के बीज अंकुरित हो जाते हैं, जिन्हें बाद में आसानी से नष्ट किया जा सकता है।
  3. समतल करना: पलेवा के बाद खेत की दोबारा जुताई कर मिट्टी को समतल कर लें। गैंती या लेवलर की मदद से खेत को एक समान बनाना ज़रूरी है।
  4. मिट्टी परीक्षण: अब मिट्टी का परीक्षण करवा लें। इससे पता चल जाएगा कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है। परीक्षण के नतीजों के अनुसार ही खेत में खाद डालें।

खरबूजे की किस्मों का चयन

भारत में कई तरह की खरबूजे की किस्में उगाई जाती हैं। कुछ लोकप्रिय भारतीय खरबूजे की किस्में इस प्रकार है:

  1. हारा मिठास: यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है, जो लगभग 80-85 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका फल गोल और मीठा होता है।
  2. पूसा एम.एच-1: उत्तर भारत के लिए उपयुक्त किस्म है। इसका फल अंडाकार होता है और गेंहुए के रंग का गरिश्मा लिए हुए होता है।
  3. अर्का जेहान: देर से पकने वाली किस्म है, जो करीब 95-100 दिनों में तैयार होती है। इसका फल लंबा और पीले रंग का होता है।
  4. हनी ड्यू: यह एक अमेरिकी किस्म है, जो भारत में भी लोकप्रिय हो रही है। इसका फल हरा और मीठा होता है।
  5. अर्का सुमन: यह एक उन्नत किस्म है, जो रोगों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी है। इसका फल गोल और मीठा होता है।

बीज की तैयारी और बुवाई

अच्छी पैदावार के लिए बीजों का स्वस्थ होना बहुत ज़रूरी है। इसलिए हमेशा विश्वसनीय स्रोत से ही प्रमाणित बीज खरीदें। बुवाई से पहले बीजों का उपचार निम्नलिखित तरीके से करें:

  • बीजों को 2-3 ग्राम प्रति किलो की दर से कॉपर ऑक्सीक्लोराइड पाउडर से उपचारित करें।
  • उपचारित बीजों को बुवाई से 24 घंटे पहले पानी में भिगो दें।

खरबूजा बोने का सही समय

भारत में खरबूजे की बुवाई का आदर्श समय मार्च से मई के बीच का होता है, जब तापमान उपयुक्त होता है।

खरबूजे की बुवाई का तरीका

  • खेत में क्यारियां बना लें। क्यारियों के बीच की दूरी लगभग 3-4 फीट और पौधों के बीच का फासला 2-3 फीट रखें।
  • प्रत्येक क्यारी में बीजों को 1-2 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं।
  • बीजों को हल्की मिट्टी से ढक दें और हल्का पानी दें।

नर्सरी से रोपाई

कुछ किसान खरबूजे की खेती से ज्यादा पैदावार लेने के लिए पहले नर्सरी में पौधे तैयार कर लेते हैं और फिर खेत में उनकी रोपाई करते हैं। नर्सरी में पौधे तैयार करने का तरीका कुछ इस प्रकार है:

  • पॉलीथीन की थैलियों में अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी का मिश्रण भर दें।
  • हर थैली में एक बीज बोएं।
  • जब पौधे लगभग 3-4 सप्ताह के हो जाएं और उनमें 3-4 पत्तियां निकल आएं, तो उन्हें खेत में रोपाई के लिए तैयार माना जा सकता है।

खरबूजे के पौधों की देखभाल

खरबूजे के पौधों की देखभाल के लिए निम्नलिखित कदम उठायें:

  1. सिंचाई: खरबूजे के पौधों को नियमित रूप से सींचाई की ज़रूरत होती है, लेकिन ध्यान दें कि जलभराव न हो। गर्मियों में हफ्ते में 2-3 बार हल्की सिंचाई करें।
  2. खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार खरबूजे के पौधों के पोषक तत्वों को सोख लेते हैं। इसलिए समय-समय पर खरपतवार निकालते रहें।
  3. निराईगुड़ाई: मिट्टी को गुड़ाई करने से हवा का संचार बेहतर होता है और पौधों की जड़ों को मजबूती मिलती है। साथ ही, इससे खरपतवार नियंत्रण में भी मदद मिलती है।
  4. ट्रेलिंग और सहारा: जैसे-जैसे खरबूजे के पौधे बढ़ते हैं, उन्हें फैलने के लिए सहारे की ज़रूरत होती है। आप खेत की मेड़ों पर जाल या तार लगा सकते हैं, जिस पर बेलें चढ़ सकें।

खरबूजे के पौधों में पोषण प्रबंध

खरबूजे के स्वाद और पैदावार को बढ़ाने के लिए पौधों को उचित मात्रा में पोषण की ज़रूरत होती है। पोषण प्रबंध में खाद और उर्वरकों का प्रयोग शामिल है।

खरबूजे की बुवाई से पहले आप जैविक खाद जैसे की एल.सी.बी फ़र्टिलाइज़र्स द्वारा निर्मित नव्यकोष आर्गेनिक खाद अथवा गोबर की खाद, खेत में डालकर मिट्टी उपजाऊ बनाएं।

खरबूजे के रोग और कीट नियंत्रण

खरबूजे की फसल को कई तरह के रोग और कीटों का प्रकोप लग सकता है। इनसे बचाव के लिए निम्नलिख्ति उपाय करें:

  1. रोग: खरबूजे की फसल को गमोसिस, फफूंदी रोग, और विषाणुजनित रोग आदि का प्रकोप लग सकता है। रोगों से बचाव के लिए खेत की साफ-सफाई पर ध्यान दें। रोगग्रस्त पौधों को तुरंत निकालकर नष्ट कर दें। निवारक उपाय के तौर पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या बोर्डो मिश्रण का छिड़काव कर सकते हैं।
  2. कीट: फल मक्खी, तना छेदक, और माईट्स जैसे कीट खरबूजे की फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनसे बचाव के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें। रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग अंतिम उपाय के रूप में ही करना चाहिए।

खरबूजे की तुड़ाई और भंडारण

  1. पकने की पहचान: खरबूजे की तुड़ाई का सही समय बहुत ज़रूरी होता है। आमतौर पर, पकने पर खरबूजे का डंठल सूख जाता है और फल हल्का पीला पड़ने लगता है। आप इसे हल्के से दबाकर भी परख सकते हैं। पका हुआ खरबूजा थोड़ा नरम होना चाहिए।
  2. तुड़ाई: खरबूजे की तुड़ाई सुबह के समय करें, जब ओस सूख चुकी हो। फल को तोड़ते समय सावधानी बरतें कि वह ज़मीन पर न गिरे।
  3. भंडारण: खरबूजे को कमरे के तापमान पर कुछ दिनों के लिए रखा जा सकता है। लेकिन लंबे समय के भंडारण के लिए इसे ठंडे कमरे (कोल्ड स्टोरेज) में रखना ज़रूरी होता है।

निष्कर्ष

उम्मीद है कि इस लेख को पढ़कर आपको खरबूजे की खेती के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त हुई होगी। जिसकी मदद से आप सफलतापूर्वक खरबूजे की खेती कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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