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गोबरधन योजना के लिए पात्रता,लाभ एवंऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का तरीका

गोबरधन योजना भारत सरकार द्वारा अप्रैल 2018 में लाई गयी थी। इस योजना के तहत भारत सरकार ग्रामीण इलाकों में कचरे के प्रबंधन पर और उसे उपयोगी चीजें जैसे की बायो गैस बनाने पर ध्यान देती है।

इस योजना में गोबर और फसल के अवशेषों का इस्तेमाल करके उनको ईंधन में बदलकर था उसकी बिक्री कर किसानो की आमदन बढ़ने में ध्यान दिया जाता है।

गोबरधन योजना का लक्ष्य क्या है?

गोबरधन योजना के कई लक्ष्य हैं, जिनमें से कुछ मुख्य लक्ष्य इस प्रकार हैं:

  1. गाँवों में कचरे का प्रबंधन: इस योजना का मुख्य उद्देश्य गाँवों में पैदा होने वाले गोबर और फसलों के अवशेषों जैसे जैविक कचरे का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना है। इससे गाँवों की साफ सफाई में सुधार होगा।
  2. कचरे से धन कमाना: गोबरधन योजना गाँवों को उनके जैविक कचरे, खासकर गोबर को, खाद और ऊर्जा में बदलने में मदद करती है। इससे गाँव वाले कचरे से कमाई कर सकते हैं।
  3. ग्रामीण आय में वृद्धि: यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करती है और किसानों व ग्रामीण लोगों की आय बढ़ाने में मदद करती है। वे अपने कचरे को उपयोगी चीजों में बदलकर कमाई कर सकते हैं।
  4. ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा: गोबरधन योजना ग्रामीण उद्यमिता को भी बढ़ावा देती है। यह योजना गैस संयंत्रों को लगाने और चलाने में उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी) और युवा समूहों को शामिल करने का समर्थन करती है।
  5. स्वच्छता और स्वास्थ्य को बढ़ावा: गाँवों में कचरे के सही निपटारे से पर्यावरण स्वच्छता को बढ़ावा मिलता है और मच्छरों आदि से होने वाली बीमारियों को कम किया जा सकता है।

गोबरधन योजना के लाभ

गोबरधन योजना गाँवों और उनके निवासियों को कई तरह के लाभ देती है, इसमें से मुख्य लाभ कुछ इस प्रकार है:

  1. गाँवों की सफाई: गोबरधन योजना से गाँवों में ठोस कचरे का बड़ा हिस्सा, जैसे गोबर और फसल अवशेषों का प्रबंधन करने में मदद मिलती है, जिससे गाँवों की साफ सफाई बेहतर होती है।
  2. स्वास्थ्य में सुधार: कचरे के सही प्रबंधन से मच्छरों आदि का प्रकोप कम होता है, जिससे गाँवों में मच्छर जनित बीमारियों का खतरा कम होता है और ग्रामीणों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
  3. आय में वृद्धि: घरों में बायोगैस का इस्तेमाल करने से एल.पी.जी गैस पर होने वाला खर्च कम हो जाता है, जिससे ग्रामीणों की बचत बढ़ती है और उनकी आय में भी वृद्धि होती है।
  4. खेती में सुधार: गोबरधन योजना के तहत तैयार किया गया जैविक खाद खेतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे फसलों की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है।
  5. रोजगार के अवसर: गोबरधन योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं। स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी) और किसान समूह (एफ.पी.ओ) गैस संयंत्रों को चलाकर कमाई कर सकते हैं।
  6. पर्यावरण संरक्षण: गोबरधन योजना से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम होता है, जिससे पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
  7. विदेशी मुद्रा की बचत: गोबरधन योजना के तहत बायोगैस पैदा होने से प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भरता कम होती है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है।

गोबरधन योजना का लाभ उठाने के लिए पात्रता

गोबरधन योजना विभिन्न मॉडलों में चलाई जाती है, और हर मॉडल के लिए पात्रता की शर्तें अलग-अलग होती हैं। इन मॉडलों और उनकी पात्रता निम्नलिखित अनुसार है:

  1. व्यक्तिगत घरेलू मॉडल: इस मॉडल के तहत, ग्राम पंचायतों द्वारा चिन्हित व्यक्तिगत परिवार लाभ ले सकते हैं।
  2. समूह मॉडल: इस मॉडल में, ग्राम पंचायतों द्वारा चिन्हित परिवारों का एक समूह लाभ ले सकता है। ये परिवार सहकारी समितियों, दुग्ध संघों, किसान उत्पादक संगठनों (एफ.पी.ओ), स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी), दीनदयाल अंत्योदय योजना एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विकसित सी.बी.ओ, निजी उद्यमियों आदि के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इस मॉडल के लिए कम से कम 3 से 4 मवेशी वाले परिवारों का होना जरूरी है।
  3. सामुदायिक मॉडल: इस मॉडल में भी ग्राम पंचायतों द्वारा चिन्हित परिवार लाभ ले सकते हैं।
  4. वाणिज्यिक मॉडल: इस मॉडल में उद्यमी/सहकारी समितियां/गौशालाएं/डेयरियां आदि बड़े बायोगैस/कंप्रेस्ड बायो गैस (सी.बी.जी) संयंत्र लगाने के लिए पात्र हैं।

पात्रता के अलावा, गोबरधन योजना के तहत गांवों का चयन भी कुछ बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। उदाहरण के लिए, मवेशियों की संख्या अधिक वाले गांवों को प्राथमिकता दी जाती है।

गोबरधन योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज

अगर आप गोबरधन योजना के तहत आवेदन करना चाहते हैं, तो आपके पास निम्नलिखित दस्तावेज होने अनिवार्य है:

  1. आधार कार्ड
  2. कॉर्पोरेट आइडेंटिफिकेशन नंबर (सी.आई.एन)/पंजीकरण संख्या
  3. स्थायी खाता संख्या (पैन कार्ड)
  4. गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स आइडेंटिफिकेशन नंबर (जी.एस.टी.आई.एन)
  5. संयंत्र/परियोजना विवरण
  6. वित्तीय विवरण

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दस्तावेजों की आवश्यकताओं में थोड़ा बदलाव हो सकता है।

गोबरधन योजना के लिए आवेदन कैसे करें?

अगर आप गोबरधन योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो निम्नलिखित तरीके से आवेदन कर सकते हैं:

  1. ग्राम पंचायत स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी)/एफ.पी.ओ/दुग्ध सहकारी समितियों/दुग्ध संघों/निजी उद्यमियों/ दीनदयाल अंत्योदय योजना एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विकसित सी.बी.ओ/राज्यों/जिलों/बी.डी.टी.सी आदि द्वारा चुनी गई एजेंसियों के सहयोग से लाभार्थियों की पहचान करेगी।
  2. चिन्हित/ सूचीबद्ध एजेंसियों/ बी.डी.टी.सी आदि के समर्थन से परियोजना के लिए दस्तावेज तैयार किया जाएगा। साथ ही, यह भी तय किया जाएगा कि बायोगैस संयंत्र बनाने वाले राजमिस्त्री/ टेक्नीशियन/ इंजीनियर कौन होंगे।
  3. सक्षम प्राधिकारियों से प्रशासनिक और तकनीकी प्रस्तावों के लिए मंजूरी ली जाएगी। परियोजना प्रस्ताव में संचालन और रखरखाव (O&M) योजना भी शामिल होनी चाहिए।

गोबरधन योजना में आवेदन की प्रक्रिया इस तहर समाप्त हो जयेगी।

गोबरधन योजना से संबंधित नवीनतम जानकारी और अपडेट के लिए भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की वेबसाइट देखें। आपको सूचित किया जाता है कि ऊपर दी गई जानकारी केवल ज्ञान के उद्देश्य से दी गयी है।

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