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केसर की खेती कब और कैसे करें

  • Writer: Rajat Kumar
    Rajat Kumar
  • 4 hours ago
  • 3 min read
kesar ki kheti kab ki jaati hai aur iska beej kanha se milega

केसर, जिसे "लाल सोना" भी कहा जाता है, दुनिया की सबसे महंगी मसालों में से एक है। भारत में केसर की  खेती मुख्य रूप से कश्मीर में होती है, लेकिन अब नई तकनीकों की मदद से केसर की खेती को  देश के  किसी भी हिस्से में, खासकर शहरों में, घर के अंदर (इनडोर) भी किया जा सकता है। 


आज हम भारत की जलवायु और परिस्थितियों के हिसाब से केसर की खेती की सम्पूर्ण जानकारी आसान तरीके से समझेंगे। 


जैसे कि केसर की खेती कब और कैसे शुरू करें, केसर का बीज कहां से लाएं, केसर की खेती में कितना खर्च  आएगा, और केसर की खेती को सफल बनाने के लिए क्या-क्या करना होगा।


केसर की खेती क्या है?


केसर एक मसाला है, जो क्रोकस सैटिवस (Crocus sativus) नाम के पौधे के फूलों के स्टिग्मा (परागकोश) से बनता है। इसे खाने में स्वाद, रंग और खुशबू के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और इसके औषधीय गुण भी हैं। 

भारत में केसर की मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन उत्पादन कम होने की वजह से करीब 60-70% केसर विदेशों, खासकर ईरान, से आयात करना पड़ता है। भारत में एक किलो शुद्ध केसर की कीमत थोक में 2.25 लाख  रुपये और खुदरा में 3-5.5 लाख रुपये तक हो सकती है।


केसर की खेती को अब इनडोर फार्मिंग की मदद से आसान बनाया गया है, जिससे किसान और छोटे  व्यवसायी अपने घर के एक कमरे में भी इसे उगा सकते हैं। यह खेती कम मेहनत और ज्यादा मुनाफे का  रास्ता है, बशर्ते इसे सही तरीके से किया जाए।


केसर की खेती कब की जाती है?


केसर की खेती का समय बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पौधा खास मौसम और जलवायु में ही अच्छा उत्पादन  देता है। भारत में केसर की खेती का सही समय इस प्रकार है:


  • बीज खरीदने और परिवहन का समय: जून से मध्य जुलाई तक। इस दौरान केसर के बीज (जिन्हें बल्ब  कहते हैं) "स्लीपिंग स्टेज" में होते हैं, यानी वे निष्क्रिय होते हैं। इस समय इन्हें खरीदना और लाना सुरक्षित  होता है, क्योंकि परिवहन के दौरान इनके खराब होने का खतरा कम होता है।

  • बल्ब लगाने का समय: मध्य अगस्त से पहले। बल्ब को मध्य अगस्त तक ट्रे में रख देना चाहिए, ताकि वे  फूल देने की प्रक्रिया शुरू कर सकें। अगर आप सितंबर तक इंतजार करते हैं, तो फूल आने की संभावना  कम हो सकती है।

  • फूल आने और केसर की कटाई का समय: नवंबर की शुरुआत से मध्य नवंबर तक। यह वह समय है  जब केसर के फूल खिलते हैं, और इन फूलों से स्टिग्मा निकालकर केसर तैयार किया जाता है। कभी-कभी यह प्रक्रिया दिसंबर की शुरुआत तक भी चल सकती है।

  • बल्ब को मिट्टी में रखने का समय: नवंबर के बाद, जब फूलों की कटाई हो जाए, बल्ब को मिट्टी में रखा  जाता है। यह बल्ब 8 महीने तक मिट्टी में रहते हैं और इस दौरान हर हफ्ते पानी देना होता है। इस प्रक्रिया  में बल्ब नए छोटे बल्ब (डॉटर बल्ब) पैदा करते हैं।


नोट: अगर आप बल्ब को मध्य जुलाई के बाद खरीदते हैं, तो वे "सेमी-अवेकनिंग स्टेज" में होते हैं, जिससे  परिवहन में खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए समय पर खरीदारी बहुत जरूरी है।


भारत में केसर की खेती कहां होती है?


परंपरागत रूप से भारत में केसर की खेती जम्मू-कश्मीर के कुछ खास इलाकों में होती है, जैसे:


  • पंपोर: यह कश्मीर का सबसे बड़ा केसर उत्पादन केंद्र है, जहां विश्व प्रसिद्ध "मोगरा" किस्म का केसर  उगाया जाता है।

  • किश्तवाड़: यहां भी अच्छी गुणवत्ता का केसर उगता है।

  • बड़गाम: यह एक और महत्वपूर्ण केसर उत्पादन क्षेत्र है।


कश्मीर का केसर अपनी बेहतरीन गुणवत्ता, सुगंध और औषधीय गुणों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यह  "मोगरा" किस्म अरब देशों और अन्य विदेशी बाजारों में बहुत मांग में है।


हालांकि, अब नई तकनीकों की मदद से केसर की खेती कश्मीर तक सीमित=कश्मीर के बाहर भी हो रही है।खासकर शहरों में, जैसे नोएडा, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश (यूपी), बिहार, राजस्थान और अन्य जगहों  पर, लोग अपने घरों या गोदामों में इनडोर फार्मिंग के जरिए केसर उगा रहे हैं। 


यह तकनीक कश्मीर की ठंडी और नम जलवायु को कृत्रिम रूप से बनाती है, जिससे भारत के किसी भी  हिस्से में केसर की खेती संभव है


केसर का बीज कहां मिलेगा?


केसर का बीज, जिसे बल्ब या कंद (corm) कहा जाता है, मुख्य रूप से कश्मीर से मिलता है। इसे आप  निम्नलिखित जगहों से खरीद सकते हैं:


  • कश्मीर के स्थानीय किसान: पंपोर, किश्तवाड़, और बड़गाम जैसे गांवों में किसान सीधे बल्ब बेचते हैं।आपको इन गांवों में जाना होगा और किसानों से संपर्क करना होगा।

  • कश्मीर के बाजार: श्रीनगर और अन्य स्थानीय बाजारों में कुछ व्यापारी केसर के बल्ब बेचते हैं। लेकिन  यहां कीमत ज्यादा हो सकती है।

  • ऑनलाइन सप्लायर्स: कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और कृषि स्टार्टअप केसर के बल्ब बेचते हैं, लेकिन  आपको उनकी गुणवत्ता की जांच करनी होगी।

  • कृषि मेलों और प्रदर्शनियों: जम्मू-कश्मीर में आयोजित होने वाले कृषि मेलों में भी बल्ब मिल सकते हैं।


सुझाव: सबसे अच्छा तरीका है कि आप कश्मीर में किसी विश्वसनीय किसान या स्थानीय व्यक्ति से संपर्क करें।अगर आप कश्मीर से बाहर हैं, तो किसी स्थानीय मित्र या रिश्तेदार की मदद लें, ताकि आपको सही कीमत  और अच्छी गुणवत्ता मिले।


केसर का बीज कैसा होता है?


केसर का बीज एक छोटा, प्याज जैसा बल्ब होता है, जो 6 ग्राम से 22 ग्राम तक के वजन में मिलता है। इसके  कुछ खास लक्षण इस प्रकार हैं:


  • आकार और वजन: बल्ब का वजन 6 ग्राम से 22 ग्राम तक होता है। छोटे बल्ब (6-10 ग्राम) ज्यादा  संख्या में आते हैं, जिससे फूलों की संख्या बढ़ती है। बड़े बल्ब (15-22 ग्राम) कम संख्या में आते हैं, लेकिन  ये जल्दी नए बल्ब पैदा करते हैं।

  • उपयोगिता: हर बल्ब एक फूल देता है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। फूल से निकलने वाला केसर की  मात्रा  लगभग एक समान होती है।

  • जीवन चक्र: एक बल्ब फूल देने के बाद 4-10 छोटे बल्ब (डॉटर बल्ब) पैदा करता है और फिर खत्म हो  जाता है। ये नए बल्ब अगले साल के लिए उपयोगी होते हैं।

  • गुणवत्ता: अच्छे बल्ब चमकदार, सख्त, और बिना किसी नुकसान के होने चाहिए। पुराने या सिकुड़े हुए  बल्ब इस्तेमाल नहीं करने चाहिए, क्योंकि वे फूल नहीं देते।


सावधानी: कई बार व्यापारी पुराने या खराब बल्ब मिला देते हैं। इसलिए, बल्ब खरीदते समय खेत पर जाकर  खुदाई करवाएं और ताजा बल्ब लें।


केसर के बीज की कीमत


केसर के बल्ब की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप उन्हें कहां से खरीद रहे हैं:


  • कश्मीर में स्थानीय कीमत: कश्मीरी किसानों से सीधे खरीदने पर बल्ब की कीमत करीब 200 रुपये  प्रति किलो होती है। यह कीमत थोड़ी ऊपर-नीचे हो सकती है।

  • कश्मीर से बाहर की कीमत: अगर आप दिल्ली, नोएडा, या अन्य शहरों से बल्ब मंगवाते हैं, तो कीमत  1,200 रुपये प्रति किलो या उससे ज्यादा हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यापारी और मध्यस्थ  कीमत बढ़ा देते हैं।

  • छोटे पैमाने की खेती के लिए: अगर आप 100 किलो बल्ब खरीदते हैं, तो आपको 20,000 रुपये  (कश्मीरी कीमत) से 1,20,000 रुपये (बाहरी कीमत) तक खर्च करने पड़ सकते हैं।


बचत के टिप्स:


  • कश्मीर में किसी स्थानीय व्यक्ति की मदद लें, जो आपके लिए बल्ब खरीद सके।

  • सीधे किसानों से संपर्क करें और उनसे दोस्ती बनाएं।

  • बल्ब की गुणवत्ता जांचने के लिए कुछ सैंपल पहले मंगवाएं।


केसर की खेती के लिए जलवायु व कमरे की तैयारी


केसर की खेती के लिए ठंडी और नम जलवायु की जरूरत होती है, जो कश्मीर की प्राकृतिक जलवायु  से  मिलती-जुलती हो। इनडोर फार्मिंग में इस जलवायु को कृत्रिम रूप से बनाया जाता है। जरूरी जलवायु की  शर्तें इस प्रकार हैं:


  • तापमान: दिन में 10 डिग्री सेल्सियस और रात में 5 डिग्री सेल्सियस। फूल आने के समय तापमान  को  और कम (0 डिग्री तक) करना पड़ सकता है।

  • नमी (ह्यूमिडिटी): 80-90% या उससे ज्यादा। यह नमी कश्मीर की बर्फीली और बादल वाली जलवायु  की तरह होनी चाहिए।

  • प्रकाश: केसर के पौधों को ज्यादा तेज रोशनी की जरूरत नहीं होती। हल्की रोशनी या कृत्रिम लाइट  काफी होती है।


केसर की खेती के लिए इनडोर फार्मिंग में जलवायु कैसे बनाएं:


  • एयर चिलर: 10x10 फीट के कमरे के लिए 2 टन का एयर चिलर और 20x20 फीट के लिए 3 टन  का चिलर लगाएं। यह चिलर 0 डिग्री या उससे कम तापमान दे सकता है।

  • ह्यूमिडिफायर: कमरे में नमी बढ़ाने के लिए ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें।

  • इंसुलेशन: कमरे की दीवारों, छत, और फर्श पर PUF (पॉलीयूरेथेन फोम) पैनल लगाएं, ताकि बाहर  की गर्मी अंदर न आए और अंदर की ठंडक बनी रहे।


नोट: सामान्य एयर कंडीशनर इस काम के लिए उपयुक्त नहीं हैं, क्योंकि वे 8 डिग्री से नीचे तापमान नहीं दे  सकते।


केसर की खेती में कितना खर्च आता है?


केसर की खेती में शुरुआती खर्च ज्यादा होता है, लेकिन यह एक बार का निवेश है। दूसरे और तीसरे साल  से खर्च कम हो जाता है, क्योंकि बल्ब खुद नए बल्ब पैदा करते हैं। 10x10 फीट के कमरे के लिए खर्च का अनुमान इस प्रकार है:


1. शुरुआती निवेश (पहला साल):


  • इंफ्रास्ट्रक्चर:

    • PUF पैनल (दीवार, छत, फर्श): ~2,50,000 रुपये

    • 2 टन एयर चिलर: ~1,50,000 रुपये

    • ह्यूमिडिफायर और अन्य उपकरण: ~50,000 रुपये

    • ट्रे और अन्य सामान: ~50,000 रुपये

    • कुल: ~5,00,000 रुपये

  • बल्ब:

    • 100 किलो बल्ब (कश्मीरी कीमत पर): ~20,000 रुपये

    • 100 किलो बल्ब (बाहरी कीमत पर): ~1,20,000 रुपये

  • बिजली खर्च:

    • 4 महीने (अगस्त-नवंबर) के लिए: ~36,000 रुपये (प्रति माह 2,500-4,200 रुपये)

  • अन्य खर्च (मिट्टी, परिवहन, मजदूरी): ~50,000 रुपये

  • कुल खर्च: 6,06,000 रुपये (कश्मीरी बल्ब कीमत) से 7,06,000 रुपये (बाहरी बल्ब कीमत)


2. वार्षिक खर्च (दूसरे साल से):


  • बल्ब: 0-20,000 रुपये (क्योंकि नए बल्ब पैदा हो जाते हैं)

  • बिजली: ~36,000 रुपये

  • अन्य खर्च: ~20,000 रुपये

  • कुल: 56,000-76,000 रुपये


3. केसर की खेती में आमदनी हो सकती है:


  • उत्पादन: 10x10 फीट के कमरे से 1.5 किलो केसर निकल सकता है।

  • कीमत:

    • थोक में: 2.25 लाख रुपये/किलो = 3,37,500 रुपये

    • खुदरा में: 3 लाख रुपये/किलो = 4,50,000 रुपये

  • केसर की खेती में लाभ:

    • पहला साल: 0-50,000 रुपये (लागत वसूल हो जाती है)

    • दूसरा साल: 3,74,000-3,94,000 रुपये

    • तीसरा साल: 4,00,000 रुपये से ज्यादा (अतिरिक्त बल्ब बेचने से और आमदनी)


नोट: अगर आप 20x20 फीट का कमरा इस्तेमाल करते हैं, तो लागत करीब 8-9 लाख रुपये होगी, लेकिन उत्पादन दोगुना हो जाएगा, जिससे मुनाफा भी बढ़ेगा।


केसर की खेती कैसे शुरू करें?


केसर की खेती को शुरू करने के लिए आपको सही योजना और तैयारी की जरूरत है। नीचे केसर की  खेती कैसे शुरू करने के लिए चरण-दर-चरण प्रक्रिया दी गई है:


1.     केसर उगने के लिए कमरा तैयार करना


  • एक 10x10 फीट या 20x20 फीट का कमरा चुनें। यह गोदाम, गैरेज, या खाली शेड भी हो सकता है।

  • कमरे को PUF पैनल से इंसुलेट करें।

  • 2-3 टन का एयर चिलर और ह्यूमिडिफायर लगाएं।

  • लकड़ी या प्लास्टिक की ट्रे तैयार करें, जिसमें बल्ब रखे जाएंगे।


2.     केसर के बल्ब की खरीद करना


  • जून-जुलाई में कश्मीर से 6-22 ग्राम के बल्ब खरीदें।

  • खेत पर जाकर ताजा बल्ब चुनें और खुदाई करवाएं।

  • 100-200 किलो बल्ब से शुरुआत करें।


3.     बल्ब लगाना


  • मध्य अगस्त तक बल्ब को ट्रे में वर्टिकली (ऊपर की ओर) रखें।

  • किसी मिट्टी या अन्य सामग्री की जरूरत नहीं है।

  • कमरे का तापमान 10 डिग्री और नमी 80-90% रखें।


4.     केसर के फूलों की देखभाल करना


  • फूल आने तक (नवंबर) कमरे में ज्यादा हस्तक्षेप न करें, ताकि फंगस का खतरा न हो।

  • ह्यूमिडिफायर और चिलर को नियमित रूप से चेक करें।

  • बल्ब को पानी देने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि वे अपने अंदर के पोषक तत्वों से बढ़ते हैं।


5.     केसर के फूलों की कटाई करना


  • नवंबर में केसर के फूल खिलने शुरू होंगे। फूलों को सुबह जल्दी तोड़ें।

  • फूलों से स्टिग्मा (लाल रेशे) निकालें और उन्हें सुखाएं। यह सूखा हुआ हिस्सा ही केसर है।

  • 1 किलो केसर बनाने के लिए करीब 1.5 लाख फूलों की जरूरत होती है।


6.     केसर के बल्ब का पुनर्जनन


  • कटाई के बाद, बल्ब को मिट्टी और रेत के मिश्रण में रखें।

  • हर हफ्ते पानी दें।

  • 8 महीने बाद (जुलाई-अगस्त) बल्ब को निकालें और नए साइकिल के लिए इस्तेमाल करें।


केसर की खेती में सावधानियां


केसर की खेती में कुछ गलतियां बड़ा नुकसान कर सकती हैं। इन सावधानियों का ध्यान रखें:


  • बल्ब की गुणवत्ता: पुराने या खराब केसर के बल्ब न खरीदें। हमेशा ताजा और सख्त बल्ब चुनें।

  • समय का ध्यान: जुलाई के बाद बल्ब खरीदने से बचें, क्योंकि वे खराब हो सकते हैं।

  • जलवायु नियंत्रण: तापमान और नमी को सटीक रखें। छोटी सी गलती फूलों को नुकसान पहुंचा सकती है।

  • फंगस से बचाव: फूलों के समय कमरे में ज्यादा न जाएं, ताकि फंगस न फैले।

  • बाजार की समझ: केसर बेचने से पहले बाजार की मांग और कीमत का पता करें।


केसर की खेती के फायदे


केसर की खेती भारतीय किसानों के लिए कई फायदे लाती है:


  • ज्यादा मुनाफा: छोटे से कमरे से लाखों रुपये की आमदनी हो सकती है।

  • कम मेहनत: 4 महीने की खेती और 8 महीने की आसान देखभाल।

  • लंबी अवधि की बचत: तीसरे साल से बल्ब खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती।

  • बाजार की मांग: केसर की मांग हमेशा रहती है, और खरीदार खुद संपर्क करते हैं।

  • अन्य उपयोग: केसर की खेती के बाद कमरे का इस्तेमाल मशरूम फार्मिंग जैसे अन्य कामों के लिए हो सकता है।


केसर की खेती के लिए अतिरिक्त टिप्स


  1. सोशल मीडिया का उपयोग: अपने केसर की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर डालें, ताकि  खरीदार आपसे संपर्क करें।

  2. ट्रेनिंग लें: अगर आप नए हैं, तो किसी अनुभवी किसान से ट्रेनिंग लें।

  3. बड़े पैमाने पर सोचें: अगर आपके पास ज्यादा जगह है, तो 1000 स्क्वायर फीट के कमरे से शुरुआत करें।यह ज्यादा मुनाफा देगा।

  4. नेटवर्क बनाएं: कश्मीरी किसानों और व्यापारियों से संपर्क बनाएं, ताकि बल्ब और बाजार में आसानी हो।

  5. गुणवत्ता पर ध्यान: हमेशा कश्मीर की मोगरा किस्म का इस्तेमाल करें, क्योंकि इसकी मांग सबसे ज्यादा  है।


भारत में केसर की खेती का भविष्य


भारत में केसर की खेती का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। अभी देश में 60 टन केसर की खपत है, जिसमें से 40 टन आयात करना पड़ता है। अगर ज्यादा किसान इनडोर फार्मिंग अपनाते हैं, तो आयात कम हो सकता है  और भारत खुद केसर का निर्यातक बन सकता है। इसके अलावा, यह खेती छोटे किसानों और शहरी  उद्यमियों के लिए एक नया अवसर है।


सरकार भी कश्मीर में केसर की खेती को बढ़ावा दे रही है, और कई योजनाएं चल रही हैं। 


केसर की खेती भारतीय किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह न केवल ज्यादा मुनाफा देती है, बल्कि  कम मेहनत और संसाधनों की जरूरत पड़ती है। 


सही समय पर बल्ब खरीदने, जलवायु को नियंत्रित करने, और गुणवत्ता पर ध्यान देने से आप इस खेती  को  सफल बना सकते हैं। चाहे आप गांव में हों या शहर में, एक छोटा सा कमरा और 6-8 लाख रुपये का निवेश  आपको हर साल लाखों की कमाई दे सकता है।


अगर आप केसर की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो आज ही योजना बनाएं। कश्मीर से बल्ब खरीदें, अपने  कमरे को तैयार करें, और नवंबर में अपनी पहली फसल की कटाई करें। यह खेती न केवल आपके लिए  मुनाफा लाएगी, बल्कि भारत को केसर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगी।

 
 
 

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