अप्रैल के महीने में धनिया की बुआई कैसे करें?
- LCB Fertilizers
- Apr 22
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धनिया, जिसे हम अंग्रेजी में कोरिएंडर (Coriander) कहते हैं, भारतीय रसोई का एक अहम हिस्सा है। इसकी पत्तियां और बीज दोनों ही बहुत गुणकारी होते हैं। अप्रैल का महीना भारत में धनिया की बुआई के लिए खास हो सकता है, बशर्ते सही तरीके और सावधानियां अपनाई जाएं।
आज हम धनिया की बुआई के सभी जरूरी पहलुओं को आसानी से समझेंगे, जैसे की मिट्टी की तैयारी, बीज का चयन, बुआई का तरीका, पानी और खाद का प्रबंधन, कीटों से सुरक्षा, और फसल की कटाई।
साथ ही, हम यह भी बताएंगे कि अप्रैल में भारत के अलग-अलग हिस्सों में धनिया की खेती कैसे की जा सकती है। यह जानकारी की मदद से आप धनिया की अच्छी पैदावार पा सकेगें।
अप्रैल में धनिया की खेती क्यों खास है?
अप्रैल का महीना गर्मी की शुरुआत का समय होता है। इस दौरान तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो धनिया की शुरुआती बढ़ोतरी के लिए ठीक है। हालांकि, गर्मी बढ़ने से फसल को नुकसान भी हो सकता है, इसलिए सही योजना बनाना जरूरी है।
धनिया को ठंडा मौसम ज्यादा पसंद है, लेकिन अगर छायादार जगह, सही पानी, और अच्छी देखभाल हो, तो अप्रैल में भी इसकी खेती सफल हो सकती है।
उत्तर भारत (जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश) में अप्रैल में दिन गर्म और रातें ठंडी होती हैं, जो धनिया के लिए अच्छा माहौल देता है।
दक्षिण भारत (जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक) में गर्मी ज्यादा होती है, इसलिए वहां छाया और बार-बार पानी देना जरूरी है।
पश्चिमी और पूर्वी भारत (जैसे गुजरात, पश्चिम बंगाल) में भी सही तरीकों से धनिया उगाया जा सकता है।
धनिया की बुआई के लिए जरूरी तैयारी
1. सही जगह का चयन
धनिया की खेती के लिए ऐसी जगह चुनें जहां सुबह की धूप मिले, लेकिन दोपहर की तेज गर्मी से पौधे बचे रहें।अगर आपके खेत में पेड़ या छायादार जगह है, तो वह धनिया के लिए अच्छी होगी। आप चाहें तो बांस और कपड़े से अस्थायी छाया भी बना सकते हैं।
2. मिट्टी की तैयारी
धनिया को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद है। बलुई दोमट या दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी होती है। अप्रैल में मिट्टी को तैयार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाएं:
खेत की जुताई: खेत को 2-3 बार अच्छे से जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए।
जैविक खाद: 10-15 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर खेत में डालें। इसे मिट्टी में अच्छे से मिलाएं। आप एल.सी.बी फ़र्टिलाइज़र्स द्वारा निर्मित नव्यकोष जैविक खाद का उपयोग भी कर सकते हो।
मिट्टी का पीएच: धनिया के लिए मिट्टी का पीएच 6.2 से 6.8 के बीच होना चाहिए। अगर मिट्टी ज्यादा अम्लीय है, तो चूना डालकर इसे ठीक करें।
सपाट खेत: मिट्टी को समतल करें ताकि पानी एक जगह इकट्ठा न हो।
3. बीज का चयन
अच्छी पैदावार के लिए स्वस्थ और प्रमाणित बीज चुनें। भारत में धनिया की कई किस्में उपलब्ध हैं, जैसे:
सीओ-1, सीओ-2: ये किस्में जल्दी तैयार होती हैं और गर्मी सहन कर सकती हैं।
साधना, स्वाति: ये पत्तियों और बीज दोनों के लिए अच्छी हैं।
लोकल किस्में: अपने इलाके की स्थानीय किस्में भी चुन सकते हैं, क्योंकि ये आपके मौसम के हिसाब से ढल चुकी होती हैं।
बीज खरीदते समय ध्यान दें कि वे पुराने न हों। ताजे बीज का अंकुरण (जमने की क्षमता) 80% से ज्यादा होना चाहिए।
अप्रैल में धनिया की बुआई का तरीका
1. बीज की मात्रा
प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। अगर आप छोटे खेत में बुआई कर रहे हैं, तो प्रति एकड़ 8-10 किलोग्राम बीज लें।
2. बीज की तैयारी
बीज को बुआई से पहले 12 घंटे पानी में भिगो दें। इससे अंकुरण तेजी से होता है।
भीगे हुए बीज को छाया में सुखाएं ताकि वे चिपचिपे न रहें।
कुछ किसान बीज को गोमूत्र या जैविक घोल (जैसे पंचगव्य) में भिगोते हैं ताकि कीटों से सुरक्षा मिले।
3. बुआई का समय
अप्रैल में बुआई सुबह या शाम को करें, जब तापमान कम हो। उत्तर भारत में अप्रैल के पहले या दूसरे हफ्ते में बुआई शुरू कर देनी चाहिए। दक्षिण भारत में तापमान ज्यादा होने की वजह से तीसरे हफ्ते तक इंतजार कर सकते हैं।
4. बुआई की विधि
धनिया की बुआई दो तरह से की जा सकती है:
छिटकन विधि: बीज को खेत में बराबर छिड़क दें और फिर हल्की जुताई करें। यह तरीका छोटे खेतों के लिए अच्छा है।
लाइन विधि: 20-25 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनें बनाएं और बीज को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं। इस विधि से पौधों को बढ़ने के लिए जगह मिलती है और देखभाल आसान होती है।
बुआई के बाद खेत को हल्का पानी दें ताकि मिट्टी नम रहे। ज्यादा पानी देने से बीज सड़ सकते हैं।
धनिया की देखभाल: पानी, खाद, और कीट प्रबंधन
1. पानी का प्रबंधन
अप्रैल में गर्मी की वजह से धनिया को नियमित पानी की जरूरत होती है। ध्यान रखें:
पहले 15 दिन: हर 3-4 दिन में हल्का पानी दें। मिट्टी को नम रखें, लेकिन जलभराव न होने दें।
20-30 दिन बाद: जब पौधे 10-15 सेंटीमीटर बड़े हो जाएं, हर 5-6 दिन में पानी दें।
ड्रिप सिंचाई: अगर आपके पास ड्रिप सिंचाई की सुविधा है, तो यह धनिया के लिए बहुत अच्छी है। इससे पानी की बचत होती है और पौधों को सही मात्रा में पानी मिलता है।
दक्षिण भारत के गर्म इलाकों में सुबह और शाम को हल्का पानी देना बेहतर है।
2. खाद और पोषण
धनिया को ज्यादा खाद की जरूरत नहीं होती, लेकिन सही समय पर पोषण देना जरूरी है:
जैविक खाद: बुआई से पहले नव्यकोष जैविक खाद या गोबर की खाद डालें।
पर्णीय छिड़काव: 25-30 दिन बाद जैविक तरल खाद का छिड़काव करें। इससे पत्तियां हरी और स्वस्थ रहती हैं।
3. खरपतवार नियंत्रण
अप्रैल में खरपतवार तेजी से बढ़ते हैं। बुआई के 15-20 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई करें। इससे खरपतवार हट जाएंगे और पौधों को पोषण मिलेगा। अगर खरपतवार ज्यादा हैं, तो जैविक खरपतवारनाशक का इस्तेमाल करें।
4. कीट और रोगों से बचाव
धनिया में कुछ आम कीट और रोग लग सकते हैं, जैसे:
माहू (एफिड्स): ये छोटे कीड़े पत्तियों का रस चूसते हैं। इसके लिए नीम तेल का छिड़काव करें (5 मिलीलीटर नीम तेल प्रति लीटर पानी)।
पाउडरी मिल्ड्यू: यह फफूंदी पत्तियों पर सफेद धब्बे बनाती है। इसके लिए जैविक फफूंदनाशक (जैसे ट्राइकोडर्मा) का इस्तेमाल करें।
जड़ सड़न: ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं। इसे रोकने के लिए जल निकासी का ध्यान रखें।
कीटों से बचने के लिए खेत में गेंदे (मैरीगोल्ड) के पौधे लगाएं। ये प्राकृतिक रूप से कीटों को दूर रखते हैं।
धनिया की कटाई और भंडारण
1. कटाई का समय
धनिया की पत्तियों की कटाई 30-40 दिन बाद शुरू हो सकती है, जब पौधे 15-20 सेंटीमीटर लंबे हो जाएं।अगर आप बीज के लिए खेती कर रहे हैं, तो 90-100 दिन बाद कटाई करें, जब बीज भूरे हो जाएं।
पत्तियों की कटाई: पौधे की ऊपरी पत्तियों को काटें ताकि नई पत्तियां निकलती रहें। हर 15-20 दिन में पत्तियां काट सकते हैं।
बीज की कटाई: जब 70-80% बीज भूरे हो जाएं, तो पौधे को जड़ से उखाड़ लें और छाया में सुखाएं।
2. भंडारण
पत्तियां: ताजी पत्तियों को कपड़े में लपेटकर 5-7 दिन तक रख सकते हैं। लंबे समय के लिए इन्हें सुखाकर या फ्रीज में स्टोर करें।
बीज: सूखे बीज को हवादार डिब्बे में रखें। नमी से बचाने के लिए सिलिका जेल का पैकेट डालें।
अप्रैल में धनिया की खेती के लिए खास सुझाव
छोटे किसानों के लिए: अगर आपके पास कम जमीन है, तो गमलों या ग्रो बैग में धनिया उगाएं। इससे जगह और पानी की बचत होती है।
जलवायु के हिसाब से योजना: अपने इलाके के मौसम को समझें। अगर तापमान 35 डिग्री से ज्यादा हो, तो छाया का इंतजाम करें।
बाजार की मांग: धनिया की ताजी पत्तियां स्थानीय बाजार में अच्छे दाम पर बिकती हैं। कटाई से पहले बाजार की मांग जांच लें।
जैविक खेती: जैविक धनिया की मांग बढ़ रही है। नव्यकोष जैविक खाद, गोबर, वर्मीकम्पोस्ट, और नीम तेल का इस्तेमाल करें और जैविक रूप से धनिया की खेती करें।
भारत के अलग-अलग हिस्सों में अप्रैल में धनिया की खेती
1. उत्तर भारत
मौसम: गर्म दिन और ठंडी रातें।
सुझाव: सुबह की धूप वाली जगह चुनें। हर 4-5 दिन में पानी दें। पत्तियों की कटाई 35 दिन बाद शुरू करें।
किस्में: साधना, स्वाति।
2. दक्षिण भारत
मौसम: ज्यादा गर्मी और उमस।
सुझाव: छायादार जगह चुनें। ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करें। नीम तेल का छिड़काव जरूरी है।
किस्में: सीओ-1, सीओ-2।
3. पश्चिमी भारत
मौसम: गर्म और शुष्क।
सुझाव: मिट्टी में जैविक खाद ज्यादा डालें। सुबह-शाम हल्का पानी दें।
किस्में: लोकल गुजराती किस्में।
4. पूर्वी भारत
मौसम: गर्मी और बारिश की शुरुआत।
सुझाव: जल निकासी का ध्यान रखें। खरपतवार नियमित हटाएं।
किस्में: स्वाति, साधना।
धनिया की खेती से लाभ
धनिया की खेती कम लागत और कम समय में अच्छा मुनाफा दे सकती है। एक हेक्टेयर में 10-15 क्विंटल पत्तियां और 8-10 क्विंटल बीज मिल सकते हैं। स्थानीय बाजार में ताजी पत्तियां 50-100 रुपये प्रति किलो और बीज 80-150 रुपये प्रति किलो बिकते हैं। जैविक धनिया की मांग और कीमत और भी ज्यादा है।
अप्रेल के महीने में धनिया की खेती के लिए अंतिम सुझाव
अप्रैल में धनिया की बुआई भारतीय किसानों के लिए एक अच्छा मौका हो सकता है, बशर्ते सही तरीके अपनाए जाएं। मिट्टी की तैयारी, बीज का चयन, पानी और खाद का प्रबंधन, और कीटों से बचाव जैसे कदम आपकी फसल को सफल बनाएंगे।
भारतीय मौसम को ध्यान में रखते हुए छाया, जल निकासी, और जैविक खेती पर जोर दें। धनिया की खेती न केवल कम समय में पैदावार देती है, बल्कि बाजार में इसकी अच्छी मांग भी रहती है।
अगर आप इन सुझावों को अपनाएंगे, तो अप्रैल में धनिया की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अपनी मेहनत और सही जानकारी के साथ आप निश्चित रूप से स्वस्थ और हरी-भरी फसल उगा पाएंगे।
ध्यान दें: अपने इलाके के कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें और मौसम की ताजा जानकारी के आधार पर बुआई की योजना बनाएं।
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