बैंगन की खेती कब और कैसे करें?
- Rajat Kumar
- Aug 5
- 3 min read

बैंगन एक बहुत लोकप्रिय सब्जी है। यह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान और अन्य कई राज्यों में पूरे साल उगाई जाती है।
बैंगन की खेती न केवल अच्छी कमाई देती है, बल्कि यह फसल लंबे समय तक चलती है और भारतीय बाजारों में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है।
आज हम किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बैंगन की खेती के बारे में पूरी जानकारी देंगे।हम यह भी बताएंगे कि बैंगन की खेती कब करनी चाहिए, इसे कैसे उगाना है, और बैंगन की फसल को स्वस्थ और अधिक उत्पादन देने वाला कैसे बनाना है।
आइए, बैंगन की खेती के हर पहलू को चरणबद्ध तरीके से समझते हैं।
बैंगन की खेती का सही समय
बैंगन की खेती साल के अलग-अलग समय पर की जा सकती है, क्योंकि यह फसल भारतीय मौसम में हर मौसम में उगाई जा सकती है।
हालांकि, सही समय पर रोपण करने से फसल की पैदावार और गुणवत्ता बेहतर होती है। भारतीय मौसम के हिसाब से बैंगन की खेती के लिए निम्नलिखित समय सबसे अच्छा माना जाता है:
बरसात के लिए: जुलाई से अगस्त का महीना बैंगन की खेती के लिए सबसे अच्छा है। इस समय बारिश होती है, जिससे पौधों को पानी की जरूरत आसानी से पूरी हो जाती है। लेकिन ध्यान दें कि जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि ज्यादा पानी जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है।
सर्दियों के लिए: सितंबर के अंत से अक्टूबर के बीच में रोपण करें। इस समय मौसम ठंडा होने लगता है, जो बैंगन के पौधों के लिए अनुकूल होता है। इस मौसम में फसल लंबे समय तक चलती है।
गर्मियों के लिए: फरवरी के बाद रोपण शुरू कर सकते हैं। गर्मियों में बैंगन की खेती के लिए खेत में छाया और पानी की व्यवस्था का ध्यान रखना जरूरी है।
समय चुनते समय ध्यान देने वाली बातें:
स्थानीय जलवायु: अपने क्षेत्र के मौसम के हिसाब से रोपण का समय चुनें। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत में सर्दियां ज्यादा ठंडी होती हैं, इसलिए सितंबर-अक्टूबर में रोपण बेहतर है। दक्षिण भारत में गर्मीज्यादा होती है, इसलिए फरवरी में रोपण अच्छा रहता है।
बाजार की मांग: उस समय रोपण करें जब बाजार में बैंगन की मांग ज्यादा हो और कीमतें अच्छी मिलें। उदाहरण के लिए, सर्दियों में बैंगन की कीमतें अक्सर अच्छी रहती हैं।
मिट्टी और पानी: रोपण से पहले मिट्टी की जांच कर लें और सुनिश्चित करें कि खेत में पानी का अच्छा प्रबंध हो।
बैंगन की खेती के लिए मिट्टी और खेत की तैयारी
बैंगन की खेती के लिए सही मिट्टी और खेत की तैयारी बहुत जरूरी है। यह फसल की जड़ों को मजबूत करता है और अच्छी पैदावार देता है।
मिट्टी का चयन
उपयुक्त मिट्टी: बैंगन की खेती के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। यह मिट्टी पानी को अच्छे से सोखती है और जल निकास भी सुनिश्चित करती है।
मिट्टी का पीएच: मिट्टी का पीएच 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए। अगर पीएच 8 से ज्यादा है (अधिक क्षारीय मिट्टी), तो खेत की तैयारी के समय 50 किलोग्राम जिप्सम प्रति एकड़ डालें। इससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरेगी।
मिट्टी की जांच: खेत की मिट्टी की जांच जरूर कराएं। यह सस्ता और आसान होता है। जांच से पता चलेगा कि मिट्टी में किन तत्वों की कमी है, जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस या पोटाश।
खेत की तैयारी
जुताई: खेत को 2-3 बार अच्छे से जोतें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए। इससे जड़ें आसानी से फैलती हैं।
जल निकास: खेत में पानी जमा न हो, इसके लिए अच्छा जल निकास जरूरी है। बरसात में ऊंचे बैड बनाएं ताकि पानी रुके नहीं।
खाद और उर्वरक:
बेसल डोज: खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ नव्यकोष जैविक खाद के 3-4 बड़े थैले या 4 ट्रॉली गोबर की खाद, डालें।
अतिरिक्त: अगर सरसों की खली उपलब्ध हो, तो इसे भी डाल सकते हैं। यह मिट्टी को और उपजाऊ बनाता है।
दीमक नियंत्रण: कुछ इलाकों में दीमक की समस्या होती है। इसके लिए दानेदार कीटनाशक जैसे कार्बोफ्यूरान, रीजेंट, या फेब्रल का उपयोग करें। बर्टा भी दीमक के लिए अच्छा काम करता है।
टिप्स:
खेत को समतल करें ताकि पानी एकसमान बंटे।
अगर मिट्टी ज्यादा क्षारीय है, तो यूरिया डालने के बाद भी पौधों को पूरा लाभ नहीं मिलता।इसलिए पीएच का ध्यान रखें।
बैंगन की अच्छी किस्में
बैंगन की खेती में सही किस्म का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। यह न केवल पैदावार को प्रभावित करता है, बल्कि बाजार में कीमत भी तय करता है। भारतीय बाजारों में अलग-अलग रंग और आकार के बैंगन की मांग होती है। यहाँ कुछ लोकप्रिय किस्में दी गई हैं:
एनवीएच 13: यह एक हाइब्रिड किस्म है जो अच्छी पैदावार देती है। यह मध्य भारत में बहुत लोकप्रिय है।
सनग्रो प्रगति: छोटे आकार के बैंगन देती है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसका चलन ज्यादा है।
कलश जनक: बड़े आकार के काले बैंगन के लिए यह किस्म अच्छी है। बाजार में इसकी मांग अच्छी रहती है।
वी.एन.आर उत्कल: अगर आपके क्षेत्र में सफेद और लंबे बैंगन की मांग है, तो यह किस्म चुनें।यह हाइब्रिड और उच्च उत्पादन वाली है।
किस्म चुनते समय ध्यान दें:
अपने क्षेत्र के बाजार में कौन से बैंगन की मांग ज्यादा है, जैसे काले, बैंगनी, या सफेद।
हाइब्रिड किस्में ज्यादा पैदावार देती हैं, लेकिन उनके बीज थोड़े महंगे हो सकते हैं।
स्थानीय कृषि केंद्रों से सलाह लें और ऐसी किस्में चुनें जो रोगों के प्रति कम संवेदनशील हों।
बैंगन के पौधों की नर्सरी तैयार करना
बैंगन की खेती की शुरुआत अच्छी नर्सरी से होती है। घर पर ही नर्सरी तैयार करना सस्ता और फायदेमंद है। यहाँ नर्सरी तैयार करने का आसान तरीका बताया गया है:
नर्सरी के लिए जरूरी चीजें:
बीज की मात्रा: एक एकड़ के लिए 80-100 ग्राम बीज पर्याप्त हैं।
सामग्री: प्लास्टिक प्रो-ट्रे, कोको पीट, नव्यकोष जैविक खाद/वर्मी कम्पोस्ट, ह्यूमिक एसिड, और साफ फंगीसाइड (जैसे यूपीएल साफ)।
शेड नेट: सफेद शेड नेट (7-8 फीट ऊंचाई) नर्सरी को धूप और कीटों से बचाने के लिए।
नर्सरी तैयार करने के चरण:
मिश्रण तैयार करें: कोको पीट और नव्यकोष जैविक खाद /वर्मी कम्पोस्ट को बराबर मात्रा में मिलाएं। इसमें थोड़ा ह्यूमिक एसिड और साफ फंगीसाइड मिलाएं।
प्रो-ट्रे में भरें: मिश्रण को प्रो-ट्रे में भरें और प्रत्येक छेद में 1-2 बीज डालें।
पानी दें: हल्के हाथ से सुबह-शाम पानी का छिड़काव करें। ज्यादा पानी न डालें।
शेड नेट लगाएं: नर्सरी को शेड नेट से ढकें ताकि तेज धूप और कीटों से बचाव हो।
नर्सरी की देखभाल (12-15 दिन):
स्प्रे शेड्यूल: 12-15 दिन की नर्सरी में 1 लीटर पानी में 2 ग्राम रोको फंगीसाइड, 0.8 ग्राम सिनजेंटा एक्टारा, और 2 मिली नाइट्रोबेंजीन (20%) मिलाकर छिड़काव करें। यह पीलेपन, फंगस, और कीटों से बचाता है।
सिंचाई: हल्के स्प्रिंकलर से सुबह-शाम पानी दें।
टिप्स:
नर्सरी में कीटों और फंगस की समस्या आम है। समय पर स्प्रे करें।
स्वस्थ पौधे 25-30 दिन में रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं।
बैंगन की खेती में पौधा रोपण और खेत प्रबंधन
नर्सरी तैयार होने के बाद, बैंगन के पौधों को खेत में रोपना होता है। सही रोपण और खेत प्रबंधन से फसल की पैदावार बढ़ती है।
रोपण की विधि:
पौधों की संख्या: एक एकड़ में 7,000-8,000 पौधे लगाए जा सकते हैं।
बैड विधि: बैंगन की खेती बैड विधि से करें।
बैड का आकार: बैड की चौड़ाई 4 फीट, ऊंचाई 1 फीट, और सेंटर-टू-सेंटर दूरी 5-5.5 फीट।
बरसात में: बैड को ज्यादा ऊंचा करें ताकि पानी जमा न हो।
गर्मियों में: बैड को चौड़ा रखें ताकि पौधों को जगह मिले।
पौधे की दूरी: पौधे से पौधे की दूरी 1-1.5 फीट और लाइन से लाइन की दूरी 5-5.2 फीट रखें।
वैकल्पिक विधि: कुछ किसान डबल लाइन या जिगजैग रोपण करते हैं, जो अच्छी देखभाल के साथ ज्यादा पैदावार देता है।
रोपण से पहले:
खेत में एक दिन पहले सिंचाई करें ताकि मिट्टी नम रहे।
पौधों को सावधानी से प्रो-ट्रे से निकालें और जड़ों को नुकसान न पहुंचे।
बैंगन की फसल कितने दिन में आती है?
बैंगन की फसल रोपण के 55 दिन बाद से ही तोड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। अगर सही देखभाल की जाए, तो यह फसल 6-7 महीने तक चलती है। फसल की अवधि कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे:
किस्म: हाइब्रिड किस्में जल्दी फल देती हैं।
मौसम: सर्दियों में फसल लंबे समय तक चलती है, जबकि गर्मियों में थोड़ा कम समय।
देखभाल: सही खाद, पानी, और कीट नियंत्रण से फसल की अवधि बढ़ती है।
टिप्स:
पहली तोड़ाई के बाद पौधों को कमजोर होने से बचाने के लिए समय पर नव्यकोष जैविक खाद और स्प्रे करें।
फूल और फल की संख्या बढ़ाने के लिए पोटाश और कैल्शियम की कमी न होने दें।
बैंगन की खेती के लिए कीट और रोग प्रबंधन
बैंगन की फसल में कई तरह के कीट और रोग लग सकते हैं। इनका समय पर नियंत्रण जरूरी है ताकि फसल स्वस्थ रहे।
आम रोग:
छोटी पत्ती रोग और कर्लिंग वायरस: यह वायरस बैंगन की फसल में तेजी से फैल रहा है। यह पत्तियों को छोटा और मुड़ा हुआ करता है।
नियंत्रण: सफेद मक्खी (वायरस का वाहक) को नियंत्रित करें। सिनजेंटा एक्टारा, बायर कॉनफिडोर सुपर, या यू.पी.एल उलाला का छिड़काव करें।
पाउडरी मिल्ड्यू और झुलसा रोग: पत्तियों पर सफेद धब्बे या सूखापन दिखता है।
नियंत्रण: ड्यूपॉन्ट कोसाइड, रोको, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड, या कवच फंगीसाइड का छिड़काव करें।
विल्ट (सूखने की बीमारी): पौधे मुरझा जाते हैं।
नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा और गन्ने का गुड़ मिट्टी में डालें। ज्यादा समस्या होने पर वेलिडामाइसिन (500 मि.ली) और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (500 ग्राम) ड्रिप सिंचाई के साथ डालें।
आम कीट:
माइट्स (मकड़ी): रेड और येलो माइट्स पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं।
नियंत्रण: ओबेरोन, ओमाइट (बायर), या एसिन (क्रिस्टल) का छिड़काव करें। एसिन सबसे प्रभावी है।
फल छेदक और तना छेदक: फलों और तनों में छेद करते हैं।
नियंत्रण: बायर बायगो (10 मिली) या प्रोक्लेम (8 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी) का छिड़काव करें। तना छेदक के लिए बायर फेंस क्विक (10-15 मिली) और कार्बोफ्यूरान हाइड्रोक्लोराइड (25 ग्राम) का उपयोग करें।
सफेद मक्खी, एफिड्स, और थ्रिप्स: रस चूसने वाले कीट हैं।
नियंत्रण: सिनजेंटा एक्टारा, बायर कॉनफिडोर सुपर, रोगर (डाइमेथोएट 30% ईसी), प्रोफेक्स सुपर, या यूपीएल लांसर गोल्ड का छिड़काव करें।
टिप्स:
फंगीसाइड को बार-बार बदलें ताकि रोग प्रतिरोधक न बनें।
स्प्रे शेड्यूल नियमित रखें, खासकर फूल और फल आने के समय।
बैंगन की खेती के लिए खाद और पोषण प्रबंधन
बैंगन की फसल को स्वस्थ और अधिक उत्पादन देने के लिए समय पर खाद देना जरूरी है। उचित समय पर बैंगन की फसल में उचित मात्रा में नव्यकोष जैविक खाद डालें।
टिप्स:
फूल और फल की अवस्था में पोटाश, सल्फर, और कैल्शियम की कमी न होने दें।
अगर पौधे कमजोर दिखें, तो तुरंत माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का छिड़काव करें।
बैंगन की खेती में खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार बैंगन की फसल की वृद्धि को रोक सकते हैं। इसलिए इनका नियंत्रण जरूरी है।
मैनुअल तरीका: निराई-गुड़ाई सबसे अच्छा तरीका है। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
खरपतवार नाशक: इनका उपयोग कम करें, क्योंकि यह मिट्टी को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकता है। अगर ज्यादा जरुरत पड़े तो जैविक खरपतवार नाशक का प्रयोग कर सकते है।
टिप्स:
पहली निराई रोपण के 20-25 दिन बाद करें।
खरपतवार को जड़ से निकालें ताकि वे दोबारा न उगें।
बैंगन की खेती के लिए सिंचाई और जल प्रबंधन
बैंगन की फसल को सही मात्रा में पानी की जरूरत होती है। ज्यादा या कम पानी दोनों ही नुकसानदायक हो सकते हैं।
रोपण से पहले: खेत में एक दिन पहले हल्की सिंचाई करें।
बरसात में: जल निकास की अच्छी व्यवस्था रखें। ऊंचे बैड बनाएं।
गर्मियों में: नियमित और हल्की सिंचाई करें, खासकर फूल और फल आने के समय।
ड्रिप सिंचाई: अगर संभव हो, तो ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें। यह पानी बचाता है और पौधों को सही मात्रा में पानी देता है।
बैंगन की फसल की कटाई और पैदावार
कटाई का समय: बैंगन की फसल 55 दिन बाद से तोड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। फल न तो बहुत छोटे हों और न ही ज्यादा पके।
पैदावार: एक एकड़ में 80 टन तक पैदावार हो सकती है। यह मिट्टी, किस्म, मौसम, और देखभाल पर निर्भर करता है।
लागत और मुनाफा:
लागत: एक एकड़ में 35,000-40,000 रुपये।
मुनाफा: औसत कीमत पर 1 लाख रुपये तक का मुनाफा हो सकता है।
टिप्स:
पहली कटाई के बाद पौधों को कमजोर न होने दें। समय पर खाद और कीटनाशक डालें।
बाजार में अच्छी कीमत के लिए सही समय पर कटाई करें।
बैंगन की खेती में आम समस्याएं और समाधान
पीलापन: पौधों में पीलापन नाइट्रोजन, आयरन, या माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से हो सकता है।
समाधान: अमोनियम सल्फेट और फेरस सल्फेट का छिड़काव करें।
फूलों का गिरना: पोटाश और कैल्शियम की कमी या कीटों का प्रकोप।
समाधान: बोरॉन और कैल्शियम नाइट्रेट डालें। कीटों के लिए स्प्रे शेड्यूल चलाएं।
कम पैदावार: गलत किस्म, खराब मिट्टी, या अनुचित देखभाल।
समाधान: सही किस्म चुनें, मिट्टी की जांच कराएं, और नियमित देखभाल करें।
किसानों के लिए अतिरिक्त सुझाव
बाजार की समझ: अपने क्षेत्र में बैंगन की मांग और कीमत का अध्ययन करें। सफेद या काले बैंगन की मांग के हिसाब से किस्म चुनें।
कृषि विशेषज्ञों से सलाह: स्थानीय कृषि केंद्रों या विशेषज्ञों से संपर्क करें।
जैविक खेती: अगर संभव हो, तो नव्यकोष जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
नई तकनीक: ड्रिप सिंचाई, शेड नेट, और हाइब्रिड बीजों का उपयोग करें।
बैंगन की खेती भारतीय किसानों के लिए एक लाभकारी और आसान विकल्प है।
सही समय, सही किस्म, और वैज्ञानिक तरीकों से खेती करने पर यह फसल अच्छी कमाई दे सकती है।
ऊपर हमने बैंगन की खेती के हर पहलू को कवर किया है, जैसे सही समय, मिट्टी की तैयारी, नर्सरी, रोपण, कीट-रोग नियंत्रण, और खाद प्रबंधन। अगर आप इन चरणों का पालन करते हैं, तो आप 6-7 महीने तक अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
बैंगन की खेती में अगर आपके कोई सवाल हैं या कोई अन्य जानकारी चाहिए, तो स्थानीय कृषि केंद्र से संपर्क करें। बैंगन की खेती में मेहनत और सही जानकारी के साथ आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
Comments