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गाजर की खेती कब और कैसे करें सम्पूर्ण जानकारी

LCB Fertilizers

Updated: Oct 16, 2024

Gajar ki kheti kab aur kaise karen

गाजर की खेती करना किसानों के लिए लाभकारी है। आज हम आपको गाजर की खेती के सभी महत्वपूर्ण  पहलुओं के बारे में बताएंगे। इस जानकारी में गाजर की बुआई से लेकर कटाई तक सब कुछ शामिल होगा।


गाजर की खेती के लिए भूमि का चयन


गाजर की अच्छी फसल के लिए उपयुक्त भूमि चयन निम्नलिखित प्रकार से करें:


  1. मिट्टी का प्रकार: गाजर की खेती के लिए बलुई दोमट (sandy loam) मिट्टी सबसे अच्छी मानी  जाती है।यह मिट्टी अच्छी जल निकासी (drainage) की सुविधा प्रदान करती है, जो गाजर की जड़ों को स्वस्थ  रखने में मदद करती है।

  2. मिट्टी की तैयारी: खेत की मिट्टी को 15-20 सेंटीमीटर गहराई तक जोतें और इसे भुरभुरा बनाएं। इसके  बाद गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़े।


गाजर की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मौसम


गाजर की खेती के लिए ठंडा और शुष्क मौसम सबसे उपयुक्त होता है। गाजर के बीजों की बुवाई अक्टूबर से  नवंबर के बीच की जाती है। यह समय गाजर के विकास के लिए सर्वोत्तम होता है, क्योंकि इस दौरान तापमान  15-25 डिग्री सेल्सियस  के बीच रहता है।


गाजर की खेती के लिए उपयुक्त किस्में


गाजर की कई किस्में होती हैं, जो भारतीय परिस्थितियों में अच्छी तरह उगाई जा सकती हैं। जैसे की पूसा केसर, पूसा रुधिरा, नांदेड़ लाल, कर्णाल गाजर आदि।


गाजर के बीज की तैयारी और बुवाई


गाजर की अच्छी फसल के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है।


  1. बीज की मात्रा: प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं।

  2. बुवाई का तरीका: बीजों को 2-3 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं और पंक्तियों के बीच 30-40 सेंटीमीटर की दूरी रखें। पंक्तियों में 5-7 सेमी की दूरी पर बीज बोएं।


गाजर की खेती के लिए सिंचाई और जल प्रबंधन


गाजर की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करें। इसके  बाद 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। ध्यान दें कि खेत में पानी का जमाव न हो।


गाजर उगाने के लिए खाद और उर्वरक


गाजर की फसल के लिए उचित पोषण निम्नलिखित प्रकार से प्रदान करें:


  1. गाजर की फसल के लिए गोबर की खाद या एल.सी.बी फ़र्टिलाइज़र्स द्वारा निर्मित नव्यकोष आर्गेनिक खाद का उपयोग करें।

  2. रासायनिक उर्वरक के उपयोग से बचे। अगर ज़रूरत पड़े तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करें।


गाजर की खेती में रोग और कीट प्रबंधन


गाजर की फसल को कुछ सामान्य रोग और कीट नुकसान पहुंचा सकते हैं।


  1. गाजर की फसल में पत्तों का मुरझाना, जड़ गलन, लीफ ब्लाइट आदि रोग हो सकते हैं।

  2. पत्तों को खाने वाले कीट, जड़ को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का समय पर नियंत्रण करें। जैविक  कीटनाशकों का उपयोग करें।


गाजर की फसल की कटाई और भंडारण


गाजर की फसल लगभग 90-120 दिनों में तैयार हो जाती है।


  1. कटाई का समय: जब गाजर की जड़ें अच्छी तरह से विकसित हो जाएं और उनका रंग नारंगी हो जाए, तब फसल की कटाई करें।

  2. भंडारण: कटाई के बाद गाजर को ठंडे स्थान पर रखें। इससे गाजर लंबे समय तक ताजा बनी रहती  है।


गाजर की फसल की बिक्री और विपणन


गाजर की फसल तैयार होने के बाद उसका सही समय पर विपणन बहुत महत्वपूर्ण है।


  1. गाजर की बिक्री के लिए स्थानीय बाजार सबसे अच्छा विकल्प है।

  2. आप अपनी फसल को थोक विक्रेताओं को भी बेच सकते हैं, जहां आपको उचित मूल्य मिल सकता है।


हमारे उपरोक्त दिए गए सुझावों का पालन करके, किसान गाजर की अच्छी और लाभकारी फसल  प्राप्त कर सकते हैं।

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