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ग्वार की खेती कब और कैसे करें?

  • LCB Fertilizers
  • Jun 12
  • 2 min read
Gwar ki kheti kab aur kaise kren

ग्वार की खेती भारतीय किसानों के लिए एक फायदेमंद विकल्प है। यह फसल कम पानी और कम लागत में अच्छी पैदावार देती है। 


भारत में ग्वार मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में  उगाया जाता है। राजस्थान अकेले देश के 70-85% ग्वार का उत्पादन करता है। 


ग्वार की फलियां सब्जी के रूप में और इसके बीज ग्वार गम बनाने के लिए उपयोगी हैं, जो खाद्य, दवा और तेल उद्योग में काम आता है। 


आज हम आपको ग्वार की खेती के बारे में समझाएंगे, ताकि आप इसे सही समय और सही तरीके से  कर सकें।


ग्वार की खेती का महत्व


ग्वार एक ऐसी फसल है जो कम पानी में भी अच्छी तरह उगती है। यह सूखे वाले इलाकों में उगाने  के लिए सबसे अच्छा है। 


ग्वार की जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन को बढ़ाती हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। यह फसल  खरीफ और गर्मी दोनों मौसम में उगाई जा सकती है। 


ग्वार की फलियां सब्जी के रूप में बाजार में बिकती हैं और इसके बीजों से ग्वार गम बनता है, जो  विदेशों में भी भेजा जाता है। 


भारत दुनिया का सबसे बड़ा ग्वार उत्पादक देश है और हर साल 1087-1723 हजार टन ग्वार पैदा  करता है। इसकी खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है, खासकर अगर सही तरीके और  उन्नत किस्मों का उपयोग किया जाए।


ग्वार की खेती कब करें?


खरीफ मौसम में खेती


भारत में ग्वार की खेती मुख्य रूप से खरीफ मौसम में की जाती है। यह मौसम जून से सितंबर तक  होता है। 


ग्वार की बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय पहली बारिश के 10-15 दिन बाद है। अगर आप जल्दी  पकने वाली किस्में उगा रहे हैं, तो 10-15 जुलाई तक बुवाई करें। 


देर से पकने वाली किस्मों के लिए 25-30 जुलाई तक का समय सही है। इस समय हल्की  बारिश  हो चुकी होती है और मिट्टी में नमी अच्छी होती है, जो ग्वार की बुवाई के लिए जरूरी है।


गर्मी के मौसम में खेती


ग्वार को गर्मी के मौसम में भी उगाया जा सकता है। यह मौसम फरवरी से मई तक होता है। जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए 15-25 फरवरी और देर से पकने वाली किस्मों के लिए 1-10 मार्च का  समय सही है। 


गर्मी में ग्वार की खेती करने पर ज्यादा पैदावार मिलती है, लेकिन इसके लिए 2-3 बार सिंचाई की  जरूरत पड़ती है।


ग्वार की खेती के लिए सही मिट्टी और मौसम


मिट्टी का चयन


ग्वार की खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए  सबसे  अच्छी है। इस मिट्टी में पानी अच्छे से निकल जाता है, जिससे जड़ें सड़ती नहीं हैं। 


ग्वार की खेती हल्की रेतीली या नमकीन मिट्टी में भी हो सकती है, जहां मिट्टी का पीएच 7 से 8 के  बीच हो। उत्तर-पश्चिमी भारत की रेतीली मिट्टी भी ग्वार के लिए सही है।


मौसम की जरूरत


ग्वार को उगाने के लिए 30-36 सेंटीमीटर बारिश और 32-38 डिग्री सेल्सियस तापमान सही है। यह  फसल सूखे को सहन कर सकती है, इसलिए कम बारिश वाले इलाकों में भी उगाई जा सकती है। 

लेकिन फूल आने और फलियां बनने के समय मिट्टी में नमी का होना जरूरी है, नहीं तो पैदावार  कम हो सकती है।


ग्वार की खेत की तैयारी कैसे करें?


खेत की जुताई


ग्वार की खेती शुरू करने से पहले खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। सबसे पहले मिट्टी  पलटने वाले हल से खेत की जुताई करें। इसके बाद 2-2.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर  की दर से गोबर  की सड़ी हुई खाद डालें और इसे अच्छे से मिट्टी में मिला दें। 


आप चाहे तो एल.सी.बी फ़र्टिलाइज़र्स द्वारा निर्मित नव्यकोष जैविक खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है। फिर कल्टीवेटर से दो बार जुताई करें और आखिर में पाटा चलाकर खेत को समतल कर लें। इससे खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाएगा।


खाद और उर्वरक का उपयोग


खेत तैयार करने के गोबर की सड़ी हुई खाद या नव्यकोष जैविक खाद डालें। इससे ग्वार की पैदावार अच्छी होगी।


ग्वार की उन्नत किस्में चुनें


अच्छी पैदावार के लिए सही किस्म का चयन बहुत जरूरी है। भारतीय बाजार में ग्वार की कई उन्नत  किस्में उपलब्ध हैं, जो ज्यादा पैदावार देती हैं। कुछ अच्छी किस्में हैं:


  • जल्दी पकने वाली किस्में: पूसा मौसमी, पूसा नवबहार, आरजीसी-936, आरजीसी-986, आरजीसी-1002, एचडी-365, जी-563।

  • देर से पकने वाली किस्में: पूसा सदाबहार, दुर्गा पहाड़, शरद बहार, लंपिरा, सिग्मा, मंजरी, टेस्टी तारा।


इन किस्मों से 600-900 किलो प्रति हेक्टेयर (खरीफ) और 2500-3000 किलो प्रति हेक्टेयर (गर्मी) तक की पैदावार मिल सकती है। सही किस्म का चयन करने से न केवल पैदावार बढ़ती है, बल्कि  फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है।


बीज की मात्रा और बीजोपचार


बीज की मात्रा


ग्वार की बुवाई के लिए 15-20 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है। खरीफ मौसम में जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए 15-18 किलो और देर से पकने वाली किस्मों के लिए 25 किलो बीज  प्रति हेक्टेयर लें। गर्मी के मौसम में 40-45 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है।


बीज का उपचार


बुवाई से पहले बीजों का उपचार करना जरूरी है, ताकि बीज कीटों और बीमारियों से बचे रहें। 2 ग्राम  थिरम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें। 


इसके साथ 5 ग्राम प्रति किलो की दर से राइजोबियम, पीएसबी और सूडोमोनास मिलाएं। यह  उपचार बीजों को अंकुरण में मदद करता है और फसल को स्वस्थ रखता है।


ग्वार की बुवाई कैसे करें


बुवाई का सही तरीका


ग्वार की बुवाई छिटकाव विधि से करने की बजाय लाइन में करें। इससे पैदावार ज्यादा मिलती है।लाइन से लाइन की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर रखें। खरीफ मौसम में  लाइन की दूरी 40-50 सेंटीमीटर और गर्मी में 20 सेंटीमीटर रखें। बीज को 5-10 सेंटीमीटर गहराई  पर बोएं।


बुवाई का समय


जैसा कि पहले बताया गया है, खरीफ में जुलाई और गर्मी में फरवरी-मार्च में बुवाई करें। सही समय  पर बुवाई करने से फसल अच्छे से बढ़ती है और पैदावार ज्यादा होती है।


ग्वार की खेती में खरपतवार प्रबंधन


ग्वार की फसल के साथ कई तरह के खरपतवार उग आते हैं, जो फसल की बढ़वार को रोकते हैं।बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें। इससे खरपतवार निकल जाएंगे और पौधों की  जड़ों में हवा का संचार अच्छा होगा। 


अगर खरपतवार ज्यादा हैं, तो पेंडिमेथालिन (0.75-1 किलो प्रति हेक्टेयर) का छिड़काव करें। समय-समय पर खेत की जांच करते रहें और खरपतवार हटाते रहें।


ग्वार की फसल में सिंचाई


खरीफ मौसम में


खरीफ मौसम में अगर बारिश सही समय पर होती है, तो अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती।लेकिन अगर बारिश कम हो, तो 1-2 बार सिंचाई करें। फूल आने और फलियां बनने के समय मिट्टी  में नमी जरूरी है, इसलिए इस समय पानी की कमी न होने दें।


गर्मी के मौसम में


गर्मी में ग्वार की फसल को 2-3 बार सिंचाई की जरूरत होती है। पहली सिंचाई बुवाई के 15-20 दिन बाद करें। इसके बाद फूल आने और फलियां बनने के समय पानी दें। ज्यादा गर्मी में नमी  बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई करें।


ग्वार की फसल की देखभाल


कीट और बीमारी से बचाव


ग्वार की फसल में कई बार कीट और बीमारियां लग सकती हैं। जड़ सड़न और अन्य बीमारियों  से बचने के लिए बुवाई से पहले बीजोपचार करें। अगर फसल में कीट दिखें, तो कीटनाशक का  उपयोग करें, लेकिन पहले किसी कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें। फसल की नियमित जांच करें और  किसी भी समस्या को तुरंत दूर करें।


फसल की बढ़वार की निगरानी


फसल की बढ़वार पर नजर रखें। अगर पौधे पीले पड़ रहे हैं या बढ़वार रुक रही है, तो मिट्टी में पोषक  तत्वों की कमी हो सकती है। ऐसे में उर्वरक का छिड़काव करें। पौधों को हवा और धूप अच्छे से  मिलनी चाहिए, इसलिए खेत में ज्यादा भीड़ न होने दें।


ग्वार की कटाई और पैदावार


कटाई का सही समय


ग्वार की फलियां 50-60 दिन में तैयार हो जाती हैं। जब फलियां हरी और मुलायम हों, तब उनकी  कटाई करें। अगर बीज के लिए फसल उगा रहे हैं, तो 90-100 दिन बाद कटाई करें, जब फलियां  सूख जाएं। कटाई सुबह के समय करें, ताकि फलियां ताजी रहें।


पैदावार


अगर सही तरीके से खेती की जाए, तो खरीफ मौसम में 600-900 किलो प्रति हेक्टेयर और  गर्मी  में 2500-3000 किलो प्रति हेक्टेयर तक की पैदावार मिल सकती है। अच्छी किस्में और सही  देखभाल से पैदावार और भी बढ़ सकती है।


ग्वार की फसल से मुनाफा कैसे कमाएं


बाजार में बिक्री


ग्वार की फलियां सब्जी मंडी में अच्छे दाम पर बिकती हैं। इसके बीजों से ग्वार गम बनता है, जिसकी  मांग देश और विदेश में है। अपनी फसल को सही समय पर बाजार में बेचें। स्थानीय मंडी या ग्वार  गम बनाने वाली कंपनियों से संपर्क करें।


सरकारी मदद


भारत सरकार ग्वार की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है। आप अपने नजदीकी  कृषि विभाग से संपर्क करके सब्सिडी और अन्य मदद ले सकते हैं। सरकार की वेबसाइट  (dpd.gov.in) और किसान पोर्टल (mkisan.gov.in) पर भी जानकारी उपलब्ध है।


ग्वार की खेती में सावधानियां


  • हमेशा प्रमाणित बीज और उन्नत किस्मों का उपयोग करें।

  • खेत में पानी का जमाव न होने दें, इससे जड़ें सड़ सकती हैं।

  • ज्यादा उर्वरक या कीटनाशक का उपयोग न करें, इससे मिट्टी और फसल को नुकसान  हो सकता है।

  • मौसम की जानकारी रखें और उसी के अनुसार बुवाई और सिंचाई करें।

  • फसल की नियमित जांच करें और किसी भी समस्या को तुरंत दूर करें।


ग्वार की खेती भारतीय किसानों के लिए एक फायदेमंद और आसान विकल्प है। यह फसल कम  पानी और कम लागत में अच्छी पैदावार देती है। 


सही समय पर बुवाई, उन्नत किस्मों का चयन, खेत की तैयारी, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई और देखभाल  से आप ग्वार की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 


ऊपर दी गई जानकारी को ध्यान से अपनाएं  और जरूरत पड़ने पर अपने नजदीकी कृषि विभाग से  संपर्क करें। ग्वार की खेती न केवल आपकी आय बढ़ाएगी, बल्कि मिट्टी की उर्वरक शक्ति को भी  सुधारेगी।

 
 
 

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