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Writer's pictureRajat Kumar

हाइड्रोपोनिक खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी


Hyrdoponic kheti kya hai hydroponic kheti ke laabh aur nuksaan ke sath iski lagat bhi bataye

हाइड्रोपोनिक खेती क्या होती है?


हाइड्रोपोनिक खेती एक उन्नत कृषि पद्धति है, जिसमें पौधों को मिट्टी की जगह पोषक तत्वों से भरपूर पानी  में उगाया जाता है


इस विधि में पौधों की जड़ों को सीधे पोषक तत्वों के घोल में डुबोया जाता है या एक माध्यम (जैसे कोको पीट, पर्लाइट, या रॉकवूल) में उगाया जाता है। 


इस तकनीक से किसान कम पानी, जगह, और संसाधनों का उपयोग करके अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।


हाइड्रोपोनिक खेती कैसे की जाती है?


हाइड्रोपोनिक खेती करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ता है:


  1. पौधों का चयन


    हाइड्रोपोनिक खेती के लिए सबसे उपयुक्त पौधे वे होते हैं जो जल्दी बढ़ते हैं और ज्यादा पोषक तत्व की  जरूरत नहीं होती, जैसे पालक, लेट्यूस, टमाटर, धनिया, और मिर्च।


  2. हाइड्रोपोनिक सिस्टम का चयन


    हाइड्रोपोनिक खेती के लिए विभिन्न सिस्टम उपलब्ध हैं, जैसे:

    • डीप वाटर कल्चर (DWC)

    • न्यूट्रिएंट फिल्म टेक्निक (NFT)

    • ड्रिप सिस्टम

    • एरोपोनिक्स


  3. पोषक तत्वों का घोल तैयार करना


    पौधों के विकास के लिए नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, और सल्फर जैसे  पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ये पोषक तत्व घोल के रूप में तैयार किए जाते हैं।


  4. जगह और संरचना का निर्माण


    भारत में गर्मी और ठंडे मौसम को ध्यान में रखते हुए ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस का निर्माण किया जाता है।इससे पौधों को मौसम की मार से बचाया जा सकता है।


  5. पौधों की देखभाल


    पौधों को नियमित रूप से पानी, पोषक तत्व, और रोशनी की आवश्यकता होती है। पौधों के स्वास्थ्य पर  ध्यान दें और समय-समय पर घोल को बदलें।


हाइड्रोपोनिक खेती के क्या लाभ हैं?


हाइड्रोपोनिक खेती से किसानों को कई लाभ मिलते हैं:


  1. पानी की बचत


    पारंपरिक खेती की तुलना में हाइड्रोपोनिक खेती में 90% तक पानी की बचत होती है।


  2. कम जगह की जरूरत


    यह खेती कम जगह में अधिक फसल उगाने की सुविधा देती है।


  3. जैविक और शुद्ध उत्पादन


    इस तकनीक से उगाई गई फसलें रसायन-मुक्त और स्वस्थ होती हैं।


  4. तेज़ विकास दर


    पौधे पोषक तत्व सीधे प्राप्त करते हैं, जिससे उनका विकास तेज़ होता है।


  5. मौसम पर निर्भरता कम


    ग्रीनहाउस या कंट्रोल्ड वातावरण में यह खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है।


हाइड्रोपोनिक खेती की लागत कितनी है?


भारत में हाइड्रोपोनिक खेती की लागत निम्न बातों पर निर्भर करती है:


  1. ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस का निर्माण


    ग्रीनहाउस बनाने की लागत ₹5 लाख से ₹20 लाख तक हो सकती है।


  2. हाइड्रोपोनिक सिस्टम


    एक छोटे सिस्टम की लागत ₹50,000 से शुरू होती है और बड़े सिस्टम के लिए यह ₹10 लाख तक हो सकती है।


  3. पोषक तत्व और बीज


    पोषक तत्व और बीज की वार्षिक लागत ₹10,000 से ₹50,000 तक होती है।


  4. पानी और बिजली खर्च


    पानी और बिजली का खर्च क्षेत्र और सिस्टम पर निर्भर करता है।


हाइड्रोपोनिक खेती के नुकसान क्या हैं?


हालांकि हाइड्रोपोनिक खेती के कई लाभ हैं, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं:


  1. प्रारंभिक निवेश अधिक


    शुरुआती लागत अधिक होने के कारण छोटे किसान इसे आसानी से अपनाने में सक्षम नहीं होते।


  2. तकनीकी जानकारी की जरूरत


    इस विधि में विशेषज्ञता और तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता होती है।


  3. बिजली पर निर्भरता


    यह खेती बिजली पर निर्भर करती है, जो ग्रामीण इलाकों में एक चुनौती हो सकती है।


  4. पौधों की देखभाल


    पौधों की नियमित देखभाल और निगरानी आवश्यक है। एक छोटी सी गलती से पूरी फसल बर्बाद  हो सकती है।


क्या हाइड्रोपोनिक खेती भारत में लाभदायक है?


भारत में हाइड्रोपोनिक खेती एक लाभदायक विकल्प बन सकती है, खासकर शहरी इलाकों और उन  जगहों  पर जहां जमीन और पानी की कमी है।


उच्च गुणवत्ता वाली सब्जियां और फसलें उगाकर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा, भारत में जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग इसे और भी फायदेमंद बनाती है।


हाइड्रोपोनिक खेती भारतीय किसानों के लिए एक नई और उन्नत तकनीक है, जो कम संसाधनों में बेहतर  उत्पादन की संभावना प्रदान करती है। 


हालांकि, इसे अपनाने से पहले किसानों को इसके फायदों और चुनौतियों के बारे में जानकारी लेना जरूरी है। 


सही योजना और प्रशिक्षण के साथ, हाइड्रोपोनिक खेती भारत में कृषि के क्षेत्र में एक क्रांति ला सकती है।

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