भारत कृषि प्रधान देश है, जहां किसानों की मेहनत से ही अन्न का कटोरा भरा रहता है। परन्तु आज के समय में रासायनिक खादों के अत्यधिक प्रयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो रही है, जिससे फसल उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। ऐसे में जैविक खाद किसानों के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।
जैविक खाद क्या है?
जैविक खाद प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त होने वाली खाद है, जो पौधों और जंतुओं के अवशेषों के सड़ने-गलने से बनती है। इसमें किसी भी तरह के रासायनिक तत्वों का प्रयोग नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मीकम्पोस्ट खाद, हरी खाद आदि सभी जैविक खाद के विभिन्न प्रकार हैं।
जैविक खाद के प्रकार
जैविक खाद कई प्रकारों में उपलब्ध है, जिनमें प्रमुख हैं:
गोबर की खाद: पशुओं के गोबर से तैयार होने वाली यह खाद नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
कम्पोस्ट खाद: इस खाद को रसोई और बगीचे के अपशिष्ट (बेकार) पदार्थों, सूखी पत्तियों आदि को मिलाकर तैयार किया जाता है। इसमें सूक्ष्मजीव मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।
वर्मीकम्पोस्ट खाद: केंचुओं की मदद से तैयार होने वाली यह खाद पोषक तत्वों के साथ-साथ मिट्टी को हवादार बनाने में भी मदद करती है।
हरी खाद: हरी फसलों को मिट्टी में मिलाकर बनाई जाती है, जो जमीन में कार्बनिक पदार्थ बढ़ाती है और नाइट्रोजन का संधारण करती है।
जैविक खाद का महत्व एवं लाभ
जैविक खाद के प्रयोग से किसानों को कई लाभ मिलते हैं, जैसे:
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाना: जैविक खाद मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा बढ़ाती है, जिससे मिट्टी उपजाऊ बनती है और पोषक तत्व लंबे समय तक टिके रहते हैं।
फसल उत्पादन बढ़ाना: जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी स्वस्थ बनती है, जिसमें पौधे तेजी से बढ़ते हैं और अधिक उपज देते हैं।
पौधों का रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना: जैविक खाद मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाती है, जो पौधों को रोगों से बचाने में मदद करते हैं।
पर्यावरण संरक्षण: रासायनिक खादों के विपरीत, जैविक खाद पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है।
फलों और सब्जियों की गुणवत्ता बढ़ाना: जैविक खाद से उगाए गए फल और सब्जियां अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होती हैं।
जैविक खाद बनाने की विधि
आप घर पर भी आसानी से जैविक खाद तैयार कर सकते हैं। इसके लिए कई तरीके हैं, जैसे:
कम्पोस्ट बनाना: रसोई और बगीचे के अपशिष्ट पदार्थों को एक गड्ढे में इकट्ठा करके सड़ा सकते हैं। हवा और नमी का सही संतुलन बनाए रखने से कुछ समय में खाद बनकर तैयार हो जाएगी।
वर्मीकम्पोस्ट बनाना: केंचुओं की मदद से खाद बनाने के लिए उन्हें एक डिब्बे में रखें और उसमें रसोई के अपशिष्ट डालें। केंचुए इन अपशिष्टों को खाकर खाद बना देंगे।
जैविक खाद कहाँ से मिलेगी?
जैविक खाद कई जगहों से प्राप्त की जा सकती है, जैसे:
कृषि विज्ञान केंद्र: कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को जैविक खाद बनाने की जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
सरकारी योजनाएं: सरकार जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है, जिनके तहत किसानों को जैविक खाद सस्ते दामों पर उपलब्ध कराई जाती है।
निजी कंपनियां: कई निजी कंपनियां भी जैविक खाद का उत्पादन और बिक्री करती हैं। एल.सी.बी फरटीलिज़ेर्स ऐसी ही एक जैविक खाद बनाने वाली कंपनी है। आप अपने लिए जैविक खाद ऑनलाइन माधयम के द्वारा एल.सी.बी फरटीलिज़ेर्स से भी खरीद सकते है।
ऑनलाइन: आप ऑनलाइन भी कई वेबसाइटों से जैविक खाद खरीद सकते हैं।
जैविक खाद का प्रयोग कैसे करें?
जैविक खाद का प्रयोग करने के लिए, सबसे पहले मिट्टी की जांच कर लें। मिट्टी की जांच से पता चलेगा कि मिट्टी में किन पोषक तत्वों की कमी है। इसके बाद, मिट्टी की आवश्यकतानुसार जैविक खाद का प्रयोग करें।
जैविक खाद का प्रयोग करने के कुछ तरीके हैं:
मिट्टी में मिलाना: जैविक खाद को मिट्टी में मिलाकर पौधों की जड़ों तक पोषक तत्व पहुंचाए जा सकते हैं।
पौधों के चारों ओर छिड़कना: जैविक खाद को पौधों के चारों ओर छिड़ककर भी मिट्टी को उपजाऊ बनाया जा सकता है।
पानी में घोलकर डालना: जैविक खाद को पानी में घोलकर पौधों को भी दिया जा सकता है।
यह कहना उचित होगा कि जैविक खाद किसानों के लिए एक वरदान है। यह न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है और फसल उत्पादन में वृद्धि करती है, बल्कि पर्यावरण को भी स्वच्छ रखने में मदद करती है। जैविक खाद का उपयोग करके किसान अपनी खेती को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बना सकते हैं।
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