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कद्दू की खेती कब और कैसे करें

  • Writer: Rajat Kumar
    Rajat Kumar
  • Jul 10
  • 3 min read
kadu ki kheti kab aur kaise kren

कद्दू की खेती भारतीय किसानों के लिए एक लाभकारी और कम लागत वाला विकल्प है। यह  फसल कम मेहनत में अच्छा मुनाफा देती है और इसे साल भर उगाया जा सकता है।

 

आज हम कद्दू की खेती कब और कैसे करें इसके बारे में जानेंगे।


हम कद्दू की खेती का समय, बीज की मात्रा, फसल की अवधि, गर्मियों और बरसात में खेती, और  अन्य जरूरी जानकारी की चर्चा करेंगे। 


कद्दू की खेती क्यों करें?


कद्दू एक ऐसी फसल है जो कम लागत में अच्छी पैदावार देती है। यह पौष्टिक होता है और बाजार में  इसकी मांग हमेशा रहती है। कद्दू की खेती के कुछ फायदे हैं:


  • कम लागत: बीज, खाद, और दवाइयों पर खर्च कम होता है।

  • अच्छा मुनाफा: बाजार में कद्दू का भाव ₹10 से ₹25 प्रति किलो तक मिल सकता है।

  • साल भर खेती: गर्मी, बरसात, और सर्दी, हर मौसम में कद्दू उगा सकते हैं।

  • आसान देखभाल: ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं, लेकिन सही तरीके अपनाने से पैदावार  बढ़ती है।

  • मिट्टी की अनुकूलता: दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी पैदावार होती है, लेकिन अन्य मिट्टी में भी  उगाया जा सकता है।


कद्दू की खेती करने का सही समय


कद्दू की खेती भारत के अलग-अलग मौसम में की जा सकती है। सही समय का चुनाव पैदावार और  मुनाफे को बढ़ाता है। नीचे मौसम के हिसाब से कद्दू की खेती का समय बताया गया है:


  • गर्मी (फरवरी-मार्च): गेहूं की कटाई के बाद, फरवरी और मार्च में कद्दू की बुवाई शुरू कर  सकते हैं। इस समय अच्छी सिंचाई की जरूरत होती है, लेकिन बाजार में कद्दू का भाव  अच्छा  मिलता है।

  • बरसात (जुलाई-अगस्त): मानसून खत्म होने के बाद, जुलाई और अगस्त में बुवाई करें। इस  समय मल्चिंग का उपयोग करें ताकि फल खराब न हों।

  • सर्दी (अक्टूबर-दिसंबर): सर्दियों में अक्टूबर से दिसंबर के बीच बुवाई सबसे अच्छी रहती है। ठंड  से बचाने के लिए लो टनल या सल्फर डस्टिंग का उपयोग करें।


टिप: ऑफ-सीजन (सर्दी या गर्मी) में खेती करने से बाजार में कद्दू की कीमत ज्यादा मिलती है।


कद्दू बीजने के लिए खेत की तैयारी कैसे करें?


कद्दू की खेती के लिए खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है। यह कदम पैदावार की नींव रखता है।नीचे खेत तैयार करने के आसान विधि दी गई है:


1.    मिट्टी का चयन:


  • दोमट मिट्टी कद्दू के लिए सबसे अच्छी होती है।

  • मिट्टी में अच्छा जल निकास होना चाहिए, ताकि पानी न रुके।

  • मिट्टी को भुरभुरी और नरम बनाएं, जैसे "मक्खन की तरह"।


2.    खेत की जुताई:


  • 2-3 बार गहरी जुताई करें।

  • खेत को समतल करें और पुराने फसल अवशेष हटाएं।


3.    खाद का उपयोग:


  • नव्यकोष जैविक खाद कद्दू की फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद करती है, आप इसका  इस्तेमाल कर सकते है।

  • यह मिट्टी को उपजाऊ बनाती है और फसल को पोषण देती है।


4.    खेत की साफ-सफाई:


  • खेत के चारों ओर साफ-सफाई रखें।

  • ग्रीन नेट या बाड़ लगाएं ताकि जानवर फसल को नुकसान न पहुंचाएं।

  • गेंदा और मक्का की एक-एक लाइन किनारे पर लगाएं, ये कीटों को दूर रखते हैं।


टिप: मिट्टी की जांच करवाएं। नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें ताकि मिट्टी में पोषक  तत्वों की कमी का पता चल सके।


एक बीघा में कद्दू का बीज कितना लगता है?


कद्दू की बुवाई के लिए बीज की मात्रा खेत के आकार और पौधों की दूरी पर निर्भर करती है। भारत  में आमतौर पर एक एकड़ (लगभग 2.5 बीघा) के लिए कद्दू के बीज की मात्रा निम्नलिखित होती है:


  • कद्दू के बीज की मात्रा:

    • एक एकड़ के लिए 500-700 ग्राम बीज चाहिए।

    • एक बीघा (लगभग 0.4 एकड़) के लिए 200-280 ग्राम बीज पर्याप्त हैं।

  • कद्दू के हाइब्रिड बीज: ज्यादा पैदावार के लिए हाइब्रिड बीज चुनें। कुछ अच्छे हाइब्रिड बीज हैं:

    • Mahyco Mahi TH

    • VNR Anuj

    • Syngenta Nakul F1

    • East-West ED 177 F1

    • US Agri AD 10001

  • बीज उपचार:

    • बुवाई से पहले बीज को ट्राइकोडर्मा (5-7 ग्राम प्रति किलो बीज) से उपचारित करें।

    • यह बीज को फफूंद और सड़न से बचाता है और अंकुरण बेहतर होता है।


टिप: बीज को हमेशा विश्वसनीय दुकान या कंपनी से खरीदें। नकली बीज से बचें।


कद्दू की बुवाई का तरीका और दूरी


कद्दू की बुवाई सही तरीके से करने से पैदावार बढ़ती है। नीचे बुवाई के चरण और दूरी की जानकारी  दी गई है:


  • बेड बनाएं:

    • बेड की चौड़ाई: 2.5 फीट

    • बेड से बेड की दूरी: 6 फीट

    • बेड की ऊंचाई: 1 फीट

  • पौधों की दूरी:

    • पौधे से पौधे की दूरी: 3 फीट

    • लाइन से लाइन की दूरी: 5.5-6.5 फीट

  • बुवाई का तरीका:

    • प्रत्येक बेड में 2-3 बीज बोएं।

    • बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।

    • अगर ड्रिप सिंचाई उपलब्ध है, तो इसका उपयोग करें।

  • मल्चिंग:

    • बरसात में 25 माइक्रोन का मल्चिंग पेपर बिछाएं।

    • यह फल को जमीन से सड़ने से बचाता है और खरपतवार को कम करता है।


टिप: ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग से पानी और मेहनत दोनों की बचत होती है।


कद्दू की फसल कितने दिन में आती है?


कद्दू की फसल की अवधि मौसम, बीज की किस्म, और देखभाल पर निर्भर करती है। आमतौर पर:


  • फसल की अवधि: 4 से 4.5 महीने (120-135 दिन)।

  • चरण:

    • अंकुरण: 5-10 दिन

    • पौधा विकास: 30-40 दिन

    • फूल और फल बनना: 50-70 दिन

    • फल पकना: 80-120 दिन

  • पैदावार:

    • एक एकड़ में 300-400 क्विंटल (30-40 टन) कद्दू की पैदावार हो सकती है।

    • हाइब्रिड किस्मों से ज्यादा और चमकदार फल मिलते हैं।


टिप: फल तैयार होने पर उनकी चमक और वजन जांचें। सही समय पर कटाई करें ताकि बाजार में  अच्छा भाव मिले।


गर्मियों में कद्दू की खेती कब और कैसे करें?


गर्मियों में कद्दू की खेती फरवरी-मार्च में शुरू होती है। इस समय कुछ खास बातों का ध्यान रखें:


  • सिंचाई:

    • हर 7-8 दिन में सिंचाई करें।

    • ड्रिप सिंचाई से हर 2 दिन में 2 घंटे पानी दें।

  • तापमान:

    • कद्दू 15-50 डिग्री सेल्सियस तक सहन कर सकता है।

    • गर्मी में पर्याप्त पानी देना जरूरी है।

  • खाद:

    • कद्दू के लिए नव्यकोष जैविक खाद का इस्तेमाल करें और रासायनिक खादों के प्रयोग से दूर रहें। केवल जैविक कीटनाशक स्प्रे का ही इस्तेमाल करें।

  • कीट और रोग:

    • पीला मोज़ेक वायरस, सफेद मक्खी, और थ्रिप्स से बचाव के लिए हर 7-10 दिन में हल्का स्प्रे करें।

    • नीम तेल या फिश तेल का उपयोग शुरू में करें।


टिप: गर्मियों में बाजार भाव अच्छा मिलता है। फल की कटाई सुबह या शाम को करें ताकि वे ताजा  रहें।


बरसात में कद्दू की खेती कब और कैसे करें?


बरसात में कद्दू की खेती जुलाई-अगस्त में की जाती है। इस समय नमी ज्यादा होती है, इसलिए कुछ  सावधानियां बरतें:


  • मल्चिंग:

    • 25 माइक्रोन का मल्चिंग पेपर जरूर बिछाएं।

    • यह फल को सड़ने से बचाता है और खरपतवार को नियंत्रित करता है।

  • जल निकास:

    • खेत में पानी जमा न होने दें।

    • बेड को ऊंचा रखें ताकि पानी आसानी से निकल जाए।

  • कीट और रोग:

    • फल मक्खी और मोज़ेक वायरस की समस्या ज्यादा होती है।

    • फल मक्खी के लिए ट्रैप लगाएं और पीले/नीले स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें।

    • 25-30 दिन की फसल पर लांसर गोल्ड (35 ग्राम) और M-45 फंगीसाइड (40 ग्राम) का स्प्रे करें (15 लीटर पानी में)।

  • खाद:

    • कद्दू के लिए नव्यकोष जैविक खाद का इस्तेमाल करें और रासायनिक खादों के प्रयोग से दूर रहें। केवल जैविक कीटनाशक स्प्रे का ही इस्तेमाल करें।


टिप: बरसात में फल की क्वालिटी बनाए रखने के लिए मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें।


सर्दियों में कद्दू की खेती कब और कैसे करें?


सर्दियों में कद्दू की खेती अक्टूबर-दिसंबर में शुरू होती है। इस समय ठंड और पाले से बचाव जरूरी है:


  • ठंड से बचाव:

    • लो टनल का उपयोग करें।

    • खेत के चारों ओर धुआं करें।

    • सल्फर डस्टिंग करें और पर्याप्त सिंचाई दें।

  • सिंचाई:

    • सर्दियों में 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

    • मिट्टी की नमी जांचें।

  • खाद और स्प्रे:

    • कद्दू के लिए नव्यकोष जैविक खाद का इस्तेमाल करें और रासायनिक खादों के प्रयोग से दूर रहें। केवल जैविक कीटनाशक स्प्रे का ही इस्तेमाल करें।

  • बाजार भाव:

    • सर्दियों में कद्दू की मांग बढ़ती है, जिससे अच्छा भाव (₹15-25/किलो) मिल सकता है।


टिप: सर्दियों में फल की चमक और वजन अच्छा होता है। समय पर कटाई करें और बाजार में जल्दी  पहुंचाएं।


कीट और रोग प्रबंधन


कद्दू की फसल में कुछ आम कीट और रोग परेशान करते हैं। इनका समय पर नियंत्रण जरूरी है:


  • मुख्य कीट और रोग:

    • पीला मोज़ेक वायरस: हाइब्रिड बीज और कीट नियंत्रण से बचाव करें।

    • फल मक्खी: फल मक्खी ट्रैप लगाएं।

    • सफेद मक्खी, थ्रिप्स, जेसिड: पीले और नीले स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें।

    • सेमी लूपर: नीम तेल या कीटनाशक स्प्रे करें।

  • प्राकृतिक उपाय:

    • नीम तेल या फिश तेल का शुरू में स्प्रे करें।

    • गेंदा और मक्का की लाइनें कीटों को दूर रखती हैं।


टिप: कीटनाशक का उपयोग करते समय दस्ताने और मास्क पहनें। दवाइयों की मात्रा पैकेट पर  लिखे निर्देशों के अनुसार ही डालें।


कद्दू की कटाई और बाजार


कद्दू की कटाई सही समय पर करने से उसकी क्वालिटी और कीमत दोनों अच्छी रहती हैं।


  • कटाई का समय:

    • जब फल चमकदार हो और छिलका सख्त हो जाए, तब काटें।

    • आमतौर पर 100-120 दिन बाद कटाई शुरू होती है।

  • कटाई का तरीका:

    • सुबह या शाम को काटें ताकि फल ताजा रहें।

    • तेज चाकू से डंठल के साथ काटें।

  • बाजार:

    • कद्दू का भाव ₹10-25 प्रति किलो तक मिलता है।

    • ऑफ-सीजन में कीमत ज्यादा होती है।

    • नजदीकी मंडी या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (जैसे Kisan Network) के जरिए बेचें।

  • पैदावार:

    • एक एकड़ में 300-400 क्विंटल पैदावार।

    • एक बीघा में 120-160 क्विंटल।


टिप: फलों को सावधानी से पैक करें ताकि वे खराब न हों। बाजार के भाव की जानकारी पहले से ले लें।


लागत और मुनाफा


कद्दू की खेती में लागत और मुनाफा कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे बीज, खाद, दवाइयां, और  बाजार भाव।


  • लागत:

    • वैज्ञानिक खेती: ₹25,000-30,000 प्रति एकड़।

    • सामान्य खेती: ₹15,000-20,000 प्रति एकड़।

    • एक बीघा की लागत: ₹6,000-12,000।

    • खर्च में शामिल: बीज (₹1,500-2,000), खाद (₹5,000-7,000), दवाइयां (₹5,000-8,000), मल्चिंग/ड्रिप (₹5,000-10,000), मजदूरी (₹5,000-8,000)।

  • मुनाफा:

    • औसतन ₹1.5-2 लाख प्रति एकड़ (लागत घटाकर)।

    • एक बीघा से ₹60,000-80,000 की कमाई।

    • अगर भाव ₹12/किलो और पैदावार 300 क्विंटल/एकड़ हो, तो कुल आय ₹3.6 लाख  हो सकती है।

  • मुनाफे को बढ़ाने के तरीके:

    • हाइब्रिड बीज चुनें।

    • मल्चिंग और ड्रिप का उपयोग करें।

    • ऑफ-सीजन में खेती करें।

    • समय पर स्प्रे और खाद दें।


टिप: लागत का हिसाब रखें और बाजार के भाव की जानकारी के लिए स्थानीय मंडी या ऐप्स का  उपयोग करें।


सामान्य समस्याएं और समाधान


कद्दू की खेती में कुछ समस्याएं आ सकती हैं। नीचे उनके समाधान दिए गए हैं:


  • फल सड़ना:

    • मल्चिंग पेपर का उपयोग करें।

    • अच्छा जल निकास सुनिश्चित करें।

  • मोज़ेक वायरस:

    • हाइब्रिड बीज और नियमित स्प्रे करें।

    • सफेद मक्खी और थ्रिप्स को नियंत्रित करें।

  • पाला (ठंड):

    • लो टनल लगाएं।

    • सल्फर डस्टिंग और सिंचाई करें।

  • खरपतवार:

    • मल्चिंग से खरपतवार कम होते हैं।

    • शुरुआत में हाथ से निराई करें।


टिप: अगर कोई समस्या बढ़ जाए, तो नजदीकी कृषि अधिकारी या KVK से संपर्क करें।


भारतीय किसानों के लिए अतिरिक्त सुझाव


  1. बीज की खरीद: हमेशा विश्वसनीय दुकान से हाइब्रिड बीज लें। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे AgriFarms भी अच्छा विकल्प हैं।

  2. सब्सिडी: मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई, और बीज पर सरकार की सब्सिडी का लाभ उठाएं। अपने जिले  के कृषि विभाग से संपर्क करें।

  3. मोबाइल ऐप्स: Kisan Suvidha, AgriApp, या Krishi Network जैसे ऐप्स से बाजार भाव  और  खेती की जानकारी लें।

  4. समुदाय से सीखें: स्थानीय किसानों या ऑनलाइन समूहों से अनुभव साझा करें।

  5. सुरक्षा: कीटनाशक छिड़कते समय दस्ताने, मास्क, और चश्मा पहनें।


कद्दू की खेती भारतीय किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यह कम लागत में अच्छा मुनाफा  देती है और साल भर उगाई जा सकती है। 


सही समय पर बुवाई, हाइब्रिड बीज का चयन, समय पर खाद और स्प्रे, और मल्चिंग जैसे तरीकों से  आप पैदावार और कमाई दोनों बढ़ा सकते हैं। गर्मी, बरसात, और सर्दी, हर मौसम में कद्दू की खेती के  अपने फायदे हैं। 


ऊपर दी गई जानकारी को अपनाकर आप कद्दू की खेती में सफलता पा सकते हैं।


अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि अधिकारी से संपर्क करें। 

 
 
 

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