मखाने की खेती कब और कैसे करें
- LCB Fertilizers
- May 20
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मखाना, जिसे फॉक्स नट या कमल के बीज भी कहते हैं, भारत में एक खास और पौष्टिक फसल है।यह न सिर्फ स्वादिष्ट है, बल्कि बाजार में इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है। मखाने की खेती खासकर उन क्षेत्रों में फायदेमंद है जहां पानी की उपलब्धता अच्छी हो, जैसे तालाब या पानी से भरे खेत।
आज हम भारतीय किसानों के लिए मखाने की खेती की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें यह बताया जाएगा कि मखाने को कब, कहां और कैसे उगाया जाए। हम मौसम और मिट्टी की स्थिति को ध्यान में रखकर मखाने की खेती करने की जानकारी दे रहे हैं ताकि किसान आसानी से इसकी खेती शुरू कर सकें।
मखाने की खेती कब की जाती है?
मखाने की खेती का समय मौसम और पानी की उपलब्धता पर निर्भर करता है। भारत में मखाने की खेती मुख्य रूप से मानसून और उसके बाद के महीनों में की जाती है।
नर्सरी तैयार करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से दिसंबर तक है। इस समय बीज बोए जाते हैं, और नर्सरी में पौधे तैयार होने में लगभग 3-4 महीने लगते हैं। इसके बाद, मार्च के पहले हफ्ते में इन पौधों को मुख्य खेत या तालाब में रोपा जाता है।
बुआई का समय: नवंबर से दिसंबर (नर्सरी के लिए)।
रोपाई का समय: मार्च का पहला हफ्ता।
कटाई का समय: जुलाई से अगस्त तक, जब फसल पूरी तरह पक जाती है।
मखाने का फसल चक्र बीज से बीज तक लगभग 8 महीने का होता है। अगर नर्सरी से शुरू करते हैं, तो यह समय 5-6 महीने तक कम हो सकता है। साल में एक बार मखाना उगाया जाता है, लेकिन इसके बाद खेत में गेहूं, दालें या चारे की फसल (जैसे बरसीम) उगाई जा सकती है।
भारत में मखाने की खेती कहां होती है?
मखाने की खेती भारत के उन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा होती है जहां पानी की अच्छी उपलब्धता हो और मिट्टी पानी को रोक सके। यह फसल खासकर उत्तर बिहार, असम, मणिपुर, ओडिशा, और पश्चिम बंगाल में लोकप्रिय है। इन क्षेत्रों में बारिश की मात्रा 1000 मिमी से ज्यादा होती है, जो मखाने की खेती के लिए जरूरी है।
उत्तर बिहार: दरभंगा, मधुबनी, और पूर्णिया जैसे जिले मखाने की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं।
पूर्वी भारत: असम, मणिपुर, और ओडिशा में तालाबों और पानी से भरे खेतों में मखाना उगाया जाता है।
पश्चिम बंगाल: यहाँ भी मखाने की खेती छोटे स्तर पर होती है।
अन्य क्षेत्र: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मखाने की खेती शुरू हो रही है, खासकर जहां धान की खेती होती है।
मखाने की खेती के लिए कठोर मिट्टी (clayey soil) सबसे अच्छी होती है, क्योंकि यह पानी को लंबे समय तक रोक सकती है। धान के खेतों में इस्तेमाल होने वाली मिट्टी मखाने के लिए भी उपयुक्त है।
मखाने की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
मखाने की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी होती है। यह फसल गर्म और नम मौसम में अच्छी तरह बढ़ती है। निम्नलिखित जलवायु की स्थिति मखाने की खेती के लिए जरूरी है:
तापमान: 20-35 डिग्री सेल्सियस। मखाना गर्मी को सहन कर सकता है, लेकिन बहुत ठंडा मौसम इसके लिए ठीक नहीं है।
बारिश: 1000 मिमी या इससे ज्यादा बारिश वाले क्षेत्र मखाने की खेती के लिए उपयुक्त हैं।
पानी की गहराई: मखाने के पौधों को पूरे फसल चक्र में 1.5 से 2 फीट पानी की जरूरत होती है।तालाबों में 4-5 फीट पानी भी ठीक रहता है, खासकर अगर मछली पालन के साथ खेती की जा रही हो।
मिट्टी: पानी को रोकने वाली चिकनी मिट्टी (clayey soil) सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
उत्तर बिहार और पूर्वी भारत के क्षेत्र इस फसल के लिए सबसे उपयुक्त हैं क्योंकि वहां गर्मी, नमी, और पानी की अच्छी उपलब्धता होती है।
मखाने का बीज कैसा होता है?
मखाने का बीज छोटा, गोल, और काले रंग का होता है। यह बीज पानी में डूबकर मिट्टी में बैठ जाता है और वहां से नया पौधा उगता है। बीज की कुछ खास बातें:
आकार और रंग: बीज छोटे (1-2 सेंटीमीटर) और गोल होते हैं। इनका बाहरी हिस्सा काला होता है, और अंदर का हिस्सा सफेद होता है।
वजन: एक हेक्टेयर के लिए 15-20 किलोग्राम बीज नर्सरी में पर्याप्त होते हैं।
वैरायटी:
स्वर्ण वैदेही: यह एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, जो अनुसंधान केंद्रों द्वारा विकसित की गई है।
सबौर मखाना-1: बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित, यह भी अच्छी पैदावार देती है।
खासियत: मखाने के बीज पानी में डूबकर मिट्टी में 10-15 सेंटीमीटर नीचे तक जाते हैं। इन्हें निकालना मुश्किल होता है, इसलिए कटाई के लिए खास तकनीक चाहिए।
मखाने का बीज कहां मिलता है?
मखाने के बीज विश्वसनीय स्रोतों से खरीदना जरूरी है ताकि अच्छी पैदावार मिले। भारत में मखाने के बीज निम्नलिखित जगहों से मिल सकते हैं:
कृषि अनुसंधान केंद्र: बिहार के दरभंगा और अन्य क्षेत्रों में स्थित अनुसंधान केंद्रों से बीज खरीदे जा सकते हैं।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, पूर्णिया: यह विश्वविद्यालय स्वर्ण वैदेही और सबौर मखाना-1 जैसे बीज उपलब्ध कराता है।
कृषि मंडियां: कुछ स्थानीय मंडियों में भी मखाने के बीज मिलते हैं, लेकिन गुणवत्ता की जांच जरूरी है।
ऑनलाइन विक्रेता: कुछ विश्वसनीय ऑनलाइन कृषि पोर्टल्स पर भी बीज उपलब्ध हो सकते हैं।
बीज की कीमत लगभग 100-110 रुपये प्रति किलोग्राम होती है। 500 वर्ग मीटर की नर्सरी के लिए 15-20 किलोग्राम बीज काफी होते हैं, जो एक हेक्टेयर के लिए पौधे तैयार कर सकते हैं।
मखाने का पेड़/ पौधा कैसा होता है?
मखाने का पौधा वास्तव में एक जलीय पौधा है, जो पानी में उगता है। यह पेड़ की तरह नहीं, बल्कि फैलने वाला पौधा होता है। इसकी कुछ खास विशेषताएं:
जड़: मखाने की जड़ें मिट्टी में 15-25 सेंटीमीटर तक नीचे जाती हैं। ये जड़ें सीधे नीचे नहीं, बल्कि फैलकर मिट्टी को पकड़ती हैं।
पत्तियां: पत्तियां गोल और चौड़ी होती हैं, जो पानी की सतह पर तैरती हैं। इनका आकार 20-30 सेंटीमीटर तक हो सकता है।
शाखाएं: पौधा फैलने वाला होता है, और इसकी शाखाएं पानी में फैलती हैं।
फूल: मई के पहले हफ्ते में बैंगनी रंग के फूल निकलते हैं, जो पानी की सतह पर दिखाई देते हैं। ये फूल बाद में फल बनते हैं, जिनमें बीज होते हैं।
कांटे: पौधे की जड़ों और तनों पर कांटे होते हैं, लेकिन पकने के बाद ये कांटे मुलायम हो जाते हैं और कटाई में ज्यादा परेशानी नहीं होती।
पौधा पूरी तरह पानी में डूबा रहता है, और केवल पत्तियां और फूल पानी की सतह पर दिखते हैं।
मखाने की खेती कैसे करें?
मखाने की खेती को आसान और क्रमबद्ध तरीके से करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. नर्सरी की तैयारी
जमीन: 500 वर्ग मीटर की छोटी जमीन चुनें, जो पानी को रोक सके।
बीज: 15-20 किलोग्राम अच्छी किस्म के बीज लें।
पानी: नर्सरी में 1.5 फीट पानी भरें।
समय: नवंबर-दिसंबर में बीज बोएं। मार्च तक पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाएंगे।
खाद: नर्सरी में जैविक खाद (जैसे नव्यकोष जैविक खाद) डालें।
2. मखाने की खेती के लिए खेत या तालाब की तैयारी करना
जोताई: खेत को अच्छे से जोत लें और समतल करें।
खाद: प्रति हेक्टेयर 5-10 टन गोबर की खाद या नव्यकोष जैविक खाद डालें।
पानी: खेत में 1.5-2 फीट पानी भरें। तालाब में 4-5 फीट पानी ठीक रहता है।
मिट्टी: चिकनी मिट्टी का उपयोग करें, जो पानी को रोक सके।
3. मखाने की रोपाई करना
मार्च के पहले हफ्ते में नर्सरी से पौधे निकालें।
पौधों की जड़ें मिट्टी में डालें, लेकिन शाखाएं मिट्टी के ऊपर रहें।
पौधों के बीच 1-1.5 मीटर की दूरी रखें ताकि वे अच्छे से फैल सकें।
4. मखाने के पौधे की देखभाल कैसे करें ?
पानी का स्तर: पूरे फसल चक्र में 1.5-2 फीट पानी बनाए रखें।
खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार को समय-समय पर हटाएं।
कीट और रोग: मखाने में कीटों की समस्या कम होती है, लेकिन फूलों के समय फफूंद रोग से बचाव के लिए जैविक कीटनाशक का उपयोग करें।
5. मखाने के फूल और फल
मई में फूल निकलते हैं, जो बैंगनी रंग के होते हैं।
फूलों से फल बनते हैं, जिनमें बीज होते हैं। ये बीज पानी के नीचे मिट्टी में बैठ जाते हैं।
6. मखाने की कटाई कैसे करें ?
जुलाई-अगस्त में फसल पकने पर कटाई करें।
बीज मिट्टी में 10-15 सेंटीमीटर नीचे होते हैं, इसलिए इन्हें कीचड़ से निकालना पड़ता है।
कटाई के लिए मजदूरों या विशेष मशीनों का उपयोग करें।
7. प्रसंस्करण
बीजों को पानी से साफ करें और सुखाएं।
सूखे बीजों को भूनकर मखाना बनाया जाता है, जो बाजार में बिकता है।
मखाने की खेती में कितना खर्च आता है?
मखाने की खेती में खर्च कई चीजों पर निर्भर करता है, जैसे जमीन का आकार, बीज की कीमत, और मजदूरी। एक हेक्टेयर के लिए अनुमानित खर्च:
बीज: 15-20 किलोग्राम बीज (100-110 रुपये प्रति किलोग्राम) = 1500-2200 रुपये।
खाद: 5-10 टन गोबर की खाद = 5000-10000 रुपये।
मजदूरी: नर्सरी, रोपाई, और कटाई के लिए = 15000-20000 रुपये।
पानी प्रबंधन: पानी की व्यवस्था और रखरखाव = 5000-10000 रुपये।
अन्य खर्च: उपकरण, कीटनाशक, और परिवहन = 3000-5000 रुपये।
कुल खर्च: लगभग 30,000-40,000 रुपये प्रति हेक्टेयर।
मखाने की खेती में पैदावार और मुनाफा:
एक हेक्टेयर से 20-25 क्विंटल मखाना मिल सकता है।
बाजार में मखाने की कीमत 500-1000 रुपये प्रति किलोग्राम होती है।
कुल आय: 1,00,000-2,00,000 रुपये प्रति हेक्टेयर (खर्च घटाने के बाद मुनाफा 70,000-1,50,000 रुपये हो सकता है)।
मखाने की खेती के साथ मछली पालन कैसे करें ?
मखाने की खेती को तालाबों में मछली पालन के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे किसानों की आय बढ़ती है।
तालाब का आकार: 800-1000 वर्ग मीटर का तालाब उपयुक्त है।
पानी की गहराई: 4-5 फीट।
मछली की प्रजाति: कतला, रोहू, और अन्य मछलियां जो कीचड़ में रह सकती हैं।
सावधानी: तालाब के 10% हिस्से को मखाने के पौधों से मुक्त रखें। इसके लिए बांस और रस्सी का उपयोग करके जगह बनाएं ताकि मछलियां सांस ले सकें।
मछली पालन से अतिरिक्त आय होती है, और मखाने के पौधे मछलियों को छाया और भोजन भी प्रदान करते हैं।
मखाने की खेती में आने वाली चुनौतियां
मखाने की खेती में कुछ चुनौतियां हैं, जिन्हें समझना जरूरी है:
कटाई की मेहनत: बीज मिट्टी में 10-15 सेंटीमीटर नीचे होते हैं, जिसे कीचड़ से निकालना मुश्किल है।
पानी प्रबंधन: पूरे फसल चक्र में पानी का स्तर बनाए रखना जरूरी है।
जागरूकता की कमी: कई किसानों को मखाने की खेती की पूरी जानकारी नहीं होती।
प्रसंस्करण: मखाना बनाने की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली है।
हालांकि, अनुसंधान केंद्र मशीन विकसित कर रहे हैं जो कटाई को आसान बनाएंगे। साथ ही, प्रशिक्षण कार्यक्रमों से किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
मखाने की खेती करने के फायदे
उच्च मुनाफा: मखाना बाजार में महंगा बिकता है, जिससे अच्छी कमाई होती है।
पानी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त: जिन क्षेत्रों में पानी ज्यादा रहता है, वहां मखाना उगाना आसान है।
मछली पालन के साथ संगत: मखाना और मछली पालन से दोहरी आय हो सकती है।
पौष्टिक फसल: मखाना पौष्टिक होता है, जिसकी मांग भारत और विदेशों में बढ़ रही है।
फसल चक्र में लचीलापन: मखाने के बाद गेहूं, दालें, या चारा उगाया जा सकता है।
मखाने की खेती के लिए टिप्स
अच्छे बीज चुनें: हमेशा प्रमाणित बीज (जैसे स्वर्ण वैदेही या सबौर मखाना-1) का उपयोग करें।
पानी का ध्यान रखें: पानी का स्तर 1.5-2 फीट बनाए रखें।
नर्सरी सही समय पर तैयार करें: नवंबर में नर्सरी शुरू करें ताकि मार्च में रोपाई हो सके।
प्रशिक्षण लें: स्थानीय कृषि विश्वविद्यालयों या अनुसंधान केंद्रों से प्रशिक्षण लें।
मछली पालन जोड़ें: तालाब में मखाना और मछली पालन से आय बढ़ाएं।
बाजार की जांच करें: मखाने की कीमत और मांग की जानकारी रखें।
मखाने की खेती भारतीय किसानों के लिए एक फायदेमंद और टिकाऊ विकल्प है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पानी की उपलब्धता अच्छी हो।
यह फसल न सिर्फ अच्छा मुनाफा देती है, बल्कि मछली पालन और अन्य फसलों के साथ भी आसानी से उगाई जा सकती है।
सही समय, जलवायु, और तकनीक का उपयोग करके किसान मखाने की खेती से अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
अगर आप मखाने की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो स्थानीय कृषि केंद्रों से संपर्क करें और बीज, प्रशिक्षण, और तकनीकी सहायता लें। मखाने की खेती न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी टिकाऊ है।
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