परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) में कैसे आवेदन करें, इसमें क्या-क्या लाभ मिलते है, PKVY के लाभ क्या है और इसमें अवदान करने के लिए कौन से दस्तावेज़ चाहिए ये विस्तार में जाने। भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका मुख्य उद्देश्य जैविक खेती को प्रोत्साहित करना और मिट्टी की स्वास्थ्य में सुधार करना है।
इस योजना के माध्यम से किसानों को रसायन और कीटनाशक रहित कृषि उत्पाद उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। यह योजना उत्पादन, प्रसंस्करण और प्रमाणन प्रबंधन के लिए किसानों को सक्षम बनाने पर केंद्रित है। आइए, इस योजना के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।
परंपरागत कृषि विकास योजना का उद्देश्य
परंपरागत कृषि विकास योजना का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: इस योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देकर मिट्टी की स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार किया जाता है।
रसायन रहित उत्पादन: किसानों को रसायन और कीटनाशक रहित कृषि उत्पाद उगाने के लिए प्रेरित किया जाता है, जिससे खाद्य पदार्थ स्वास्थ्यवर्धक और पोषक होते हैं।
पर्यावरण संरक्षण: पारंपरिक और किसान अनुकूल तकनीकों का उपयोग कर पर्यावरण को हानिकारकरसायनों से बचाया जाता है।
किसानों की आय में वृद्धि: स्थायी और एकीकृत जैविक खेती प्रणालियों के माध्यम से किसानों की खेती की लागत को कम कर उनकी आय में वृद्धि की जाती है।
किसानों का सशक्तिकरण: किसानों को समूह और क्लस्टर के रूप में संगठित किया जाता है, जिससे वे उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और प्रमाणन प्रबंधन को स्वयं संभाल सकते हैं।
परंपरागत कृषि विकास योजना के मुख्य पहलू
प्रमाणीकरण प्रणाली: PKVY के तहत भागीदारी गारंटी प्रणाली (PGS) को अपनाया गया है, जो पारस्परिक विश्वास पर आधारित है और स्थानीय स्तर पर प्रासंगिक है। यह प्रणाली थर्ड पार्टी प्रमाणन के बाहर संचालित होती है।
वित्तीय सहायता: योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 60:40 के अनुपात में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 100% सहायता केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
क्षेत्र विस्तार: योजना के तहत 2025-26 तक अतिरिक्त 6,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक खेती के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है।
तकनीकी सहायता: भारतीय सार्वजनिक कृषि अनुसंधान प्रणाली के विशेषज्ञों की सेवाओं का उपयोग किया जाता है।
परंपरागत कृषि विकास योजना के लाभ
परंपरागत कृषि विकास योजना के लाभ निम्नलिखित हैं:
मिट्टी की स्वास्थ्य में सुधार: जैविक खेती को प्रोत्साहित कर मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
रसायन रहित और पौष्टिक उत्पादन: इस योजना के तहत रसायन और कीटनाशक रहित पोषक कृषि उत्पादों का उत्पादन किया जाता है।
प्रत्यक्ष बाजार संचार: किसानों को स्थानीय और राष्ट्रीय बाजारों से सीधे जोड़ने की सुविधा प्रदान की जाती है।
किसानों का सशक्तिकरण: समूह और क्लस्टर के रूप में संगठित होकर किसान स्वयं उत्पादन, प्रसंस्करण मूल्य संवर्धन और प्रमाणन प्रबंधन को संभाल सकते हैं।
परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए पात्रता
सभी किसान और संस्थाएं इस योजना के लिए आवेदन कर सकती हैं। अधिकतम भूमि धारक 2 हेक्टेयर तक के किसान पात्र हैं।
दो हेक्टेयर या दो हेक्टेयर से कम भूमि धारक किसान भी इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
कोई भी किसान या संसथान जिसके पास 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि हुई वो इस योजना में आवेदन नहीं कर सकता।
परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज़
परंपरागत कृषि विकास योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:
आधार नंबर
भूमि दस्तावेज़
जाति प्रमाणपत्र (SC/ST/OBC के लिए)
फोन विवरण
बैंक विवरण
फोटो
DPR (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट)
विभिन्न राज्यों और हस्तक्षेपों के प्रकार के अनुसार आवश्यक दस्तावेज़ों में भिन्नता हो सकती है। विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करना अनुशंसित है।
परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के लिए आवेदन प्रक्रिया निम्नलिखित है:
इच्छुक आवेदक अपने संबंधित राज्यों की क्षेत्रीय परिषदों से संपर्क और संवाद करें।
क्षेत्रीय परिषद सभी आवेदनों को संकलित कर वार्षिक कार्य योजना विकसित करती है।
राज्य की क्षेत्रीय परिषद द्वारा संकलित वार्षिक कार्य योजना को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाता है।
केन्द्र द्वारा राज्यों को धनराशि जारी की जाती है।
राज्यों द्वारा किसानों/व्यक्तियों को लाभान्वित करने के लिए क्षेत्रीय परिषद को धनराशि जारी की जाती है।
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल किसानों की आय में वृद्धि करती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण की रक्षा भी करती है।इस योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने से कृषि उत्पाद रसायन रहित और पोषक होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के माध्यम से किसानों को संगठित कर उनके सशक्तिकरण के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे वे स्वयं उत्पादन, प्रसंस्करण और प्रमाणन प्रबंधन को संभाल सकें।इस योजना के सफल कार्यान्वयन से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि देश की कृषि प्रणाली भी मजबूत और स्थायी बनेगी।
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