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Writer's pictureRajat Kumar

सबसे अच्छे गेहूं के बीजों और उन्नत प्रजातियों की जानकारी

sabse ache gehun ke beejon ki jaankari

भारत में किसान मुख्य रूप से गेहूं की खेती करते हैं, क्योंकि यह हमारी प्रमुख फसल है। लेकिन गेहूं की  अच्छी उपज के लिए सही बीज का चयन करना बेहद ज़रूरी है। 


आज हम यह समझेंगे कि भारत में सबसे अच्छा गेहूं का बीज कौन सा है? और बीज चुनते समय किन  बातों का ध्यान रखना चाहिए।


भारतीय जलवायु के अनुसार बीज का चयन


भारत की जलवायु विविध है, और हर क्षेत्र में एक ही प्रकार के बीज नहीं उगाए जा सकते। इसलिए, यह जानना ज़रूरी है कि आपके क्षेत्र की जलवायु के लिए कौन सा बीज सबसे उपयुक्त रहेगा।


  • उत्तर भारत: ठंडी जलवायु वाले क्षेत्रों में जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान, एचडी 2967, एचडी 3086 और डब्ल्यूएच 1105 जैसे गेहूं के बीज बेहतर उपज देते हैं।

  • मध्य भारत: यहां हल्की ठंडी और सामान्य बारिश होती है। एमपी 4010 और एचआई 1544  जैसे बीज  इस क्षेत्र के लिए अच्छे हैं।

  • दक्षिण भारत: कर्नाटक और तेलंगाना जैसे क्षेत्रों के लिए सूखे सहने वाले बीज जैसे एचडी 2402 या एनआईएबी 2021 उपयोगी होते हैं।


उत्तम गेहूं के बीज की पहचान कैसे करें?


  • सफाई: बीज साफ और बिना किसी रोग या कीड़े के होना चाहिए।

  • अंकुरण क्षमता: बीज की अंकुरण क्षमता कम से कम 85% होनी चाहिए। इसका मतलब है कि 100 बीजों में से 85 अंकुरित होने चाहिए।

  • उत्पादन क्षमता: बीज उच्च उत्पादन देने वाला होना चाहिए।

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: बीज को विभिन्न प्रकार के रोगों जैसे रतुआ और स्मट से बचाव की क्षमता होनी  चाहिए।


भारत में लोकप्रिय गेहूं के बीज


(1) एचडी 2967 (HD 2967) गेहूं की किस्म


  • यह उत्तर भारत में बेहद लोकप्रिय बीज है।

  • यह बीज रतुआ रोग से बचाव करता है।

  • इसकी उपज क्षमता 50-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

  • यह बीज अच्छी गुणवत्ता वाला गेहूं प्रदान करता है।

  • एचडी 2967 गेहूं की किस्म 145 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है।

· 

रोग प्रतिरोधक क्षमता:


  • पत्ती और तना रतुआ (Leaf and Stem Rust) के प्रति प्रतिरोधी

  • फसल पर झुलसा रोग (Blight) का असर कम होता है।


विशेषता:


यह उत्तर भारत में किसानों के बीच सबसे लोकप्रिय है।


(2) एचडी 3086 (HD 3086) गेहूं की किस्म


  • इसे ठंडी और नमीयुक्त क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

  • यह जल्दी पकने वाला बीज है।

  • एचडी 3086 गेहूं की किस्म 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है।


रोग प्रतिरोधक क्षमता:


  • ब्राउन रतुआ (Brown Rust) और येलो रतुआ (Yellow Rust) के प्रति प्रतिरोधी

  • जड़ रोगों (Root Diseases) का प्रभाव कम होता है।


विशेषता:


यह जल्दी पकने वाली किस्म है, जो ठंडे और नमी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।


(3) डब्ल्यूएच 1105 (WH 1105) गेहूं की किस्म


  • यह हरियाणा और पंजाब में विशेष रूप से उपयुक्त है।

  • यह फसल रोगों के प्रति प्रतिरोधी है।

  • यह बीज ज्यादा उत्पादन देने के लिए जाना जाता है।

  • डब्ल्यूएच 1105 गेहूं की किस्म 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है।


रोग प्रतिरोधक क्षमता:


  • स्ट्राइप रतुआ (Stripe Rust) और पत्ती झुलसा रोग (Leaf Blight) के प्रति प्रतिरोधी

  • फसल पर पाउडर मिल्ड्यू (Powdery Mildew) का असर नहीं होता।


विशेषता:


यह पंजाब और हरियाणा में लोकप्रिय है।


(4) एमपी 4010 (MP 4010) गेहूं की किस्म


  • यह गेहूं की किस्म मध्य भारत के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • यह सूखा सहनशील है और मध्यम वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी उपज देती है।

  • इसकी औसत उपज लगभग 50-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

  • यह उच्च गुणवत्ता वाले दाने प्रदान करती है, जिनकी मिलिंग और बेकिंग विशेषताएं अच्छी हैं।

  • एमपी 4010 गेहूं की किस्म 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है।


रोग प्रतिरोधक क्षमता:


  • पत्ती रतुआ और तना रतुआ के प्रति प्रतिरोधी

  • फफूंद संक्रमण के प्रति मध्यम प्रतिरोध प्रदान करती है।

 

विशेषता:


  • मध्य प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में किसानों के बीच लोकप्रिय।

  • मध्यम से कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छा प्रदर्शन करती है।


(5) एचआई 1544 (HI 1544) गेहूं की किस्म


  • यह मध्य भारत के किसानों के लिए अच्छा विकल्प है।

  • यह सूखा प्रतिरोधी और अधिक उपज देने वाला बीज है।

  • इसकी फसल की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है।

  • एचआई 1544 गेहूं की किस्म 140 से 145 दिनों में तैयार हो जाती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता:


  • तना रतुआ (Stem Rust) और ब्राउन रतुआ के प्रति प्रतिरोधी

  • फसल को कीट और रोग से बचाने में सहायक।


विशेषता:


मध्य भारत के किसानों के लिए एक उपयुक्त विकल्प।


(6) एचडी 2402 (HD 2402) गेहूं की किस्म


  • यह सूखा प्रतिरोधी गेहूं की किस्म है, जो शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

  • यह बीज कम पानी की उपलब्धता में भी स्थिर उपज प्रदान करता है।

  • इसकी उपज क्षमता लगभग 45-50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

  • यह किस्म उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं के दाने प्रदान करती है।

  • एचडी 2402 गेहूं की किस्म 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है।


रोग प्रतिरोधक क्षमता:


  • ब्राउन रतुआ और तना रतुआ जैसे रोगों के प्रति प्रतिरोधी

  • पत्ती झुलसा रोग से सुरक्षा प्रदान करती है।


विशेषता:


  • सीमित जल संसाधन वाले दक्षिण और मध्य भारतीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।

  • अर्ध-शुष्क जलवायु में खेती के लिए उपयुक्त।


(7) एनआईएबी 2021 (NIAB 2021) गेहूं की किस्म


  • यह दक्षिण भारत के लिए आदर्श है।

  • सूखा प्रतिरोधी क्षमता के साथ यह बीज कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देता है।

  • एनआईएबी 2021 गेहूं की किस्म 135 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है।


रोग प्रतिरोधक क्षमता:


  • सूखा सहने और जड़ के रोगों के प्रति प्रतिरोधी

  • ब्लास्ट और झुलसा रोग के खिलाफ प्रभावी।


विशेषता:


यह कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।


बीज का सही समय पर चयन और बोवाई


बोवाई का सही समय:


  • उत्तर भारत: नवंबर का पहला सप्ताह

  • मध्य और दक्षिण भारत: अक्टूबर का अंतिम सप्ताह


बोवाई की विधि:


  • बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक से उपचारित करें।

  • बीज का अंकुरण परीक्षण करें।


सरकार द्वारा प्रमाणित बीज खरीदें


हमेशा सरकारी संस्थानों या प्रमाणित कंपनियों से ही बीज खरीदें।


  • आईसीएआर (ICAR) द्वारा प्रमाणित बीज।

  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से सलाह लें।

  • स्थानीय मंडियों और कृषि मेलों में उपलब्ध प्रमाणित बीज चुनें।


गेहूं के बीज की उपज बढ़ाने के टिप्स


  • मिट्टी की जांच कराएं और उसी के अनुसार उर्वरक का उपयोग करें।

  • सिंचाई का सही समय निर्धारित करें।

  • फसल पर जैविक कीटनाशक और फफूंदनाशक का उचित उपयोग करें।

  • समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करें।


उपज में सुधार के लिए उन्नत तकनीकें अपनाएं


  • जीरो टिलेज (Zero Tillage): यह तकनीक समय और लागत बचाती है।

  • प्रिसिजन फार्मिंग (Precision Farming): इसमें जीपीएस आधारित खेती की जाती है।

  • ड्रिप सिंचाई: पानी की बचत के लिए उपयोगी है।


संबंधित सरकारी योजनाएं और सब्सिडी


भारत सरकार किसानों को उन्नत बीज खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है।


  • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM)

  • राज्य सरकार की कृषि योजनाएं


भारत में सबसे अच्छा गेहूं का बीज चुनने का निर्णय आपके क्षेत्र की जलवायु, मिट्टी और अन्य स्थानीय  कारकों पर निर्भर करता है। 


सही बीज का चयन और सही समय पर खेती से आप अपनी उपज बढ़ा सकते हैं। हमेशा प्रमाणित और  रोग प्रतिरोधक बीजों का चयन करें और उन्नत तकनीकों का उपयोग करें।


नोट: यदि आपको सही बीज चयन में कोई कठिनाई हो, तो नजदीकी कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से  सलाह लें। सही जानकारी के साथ आपकी फसल अच्छी होगी और आप अधिक लाभ कमा सकेंगे

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